Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024: छत्तीसगढ़ का आज यानी 1 नवंबर को स्थापना दिवस है। प्रदेश में राज्योत्सव 4 से 6 नवंबर तक मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हर जिले में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है।
इसी तैयारी से इतर आज हम आपको बताएंगे उस समय की कहानी जब छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) का निर्माण हुआ। छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग हुआ उस समय प्रदेश की क्या स्थिति थी। यहां की जनसंख्या तहसील और नए राज्य के गठन की चिंगारी सबसे पहले किस नेता या समाजसेवी के मन में सुलगी थी। आइये इसके बारे में हम विस्तार से आपको बताते हैं-
छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना
हमारे देश के इतिहास के पन्नों को पलटें तो छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) से जुड़े कुछ फेक्ट निकलकर सामने आते हैं। उन्हीं फेक्ट को हम आपको बता रहे हैं। बात उस समय की है जब राजाओं का शासन हुआ करता था। छत्तीसगढ़ की बात करें तो कलचुरी शासको ने सबसे ज्यादा वर्ष 875 ई. से 1741 ई. तक राज किया। 1741 ई. से 1854 ई. तक मराठा शासन रहा।
उस समय छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) मराठा साम्राज्य के समय लोकप्रिय हुआ। इसी के साथ ही सबसे पहले आधिकारिक दस्तावेज में छत्तीसगढ़ शब्द 1795 ई. में इस्तेमाल किया गया। 1854 ई. से अंग्रेजो का शासन शुरू हुआ और राजधानी रायपुर बनाई गई। वर्ष 1905 में संभलपुर बंगाल में बिलीन हो गया और सुरगुजा छत्तीसगढ़ में मिला दिया गया। इसके बाद 1 नवंबर 2000 ई. में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ। यह देश का 26वां राज्य बना। उस सयम देश में 33 जिले थे और इन जिलों की 97 तहसीलें अस्तित्व में आईं।
इसलिए पड़ा राज्य का नाम छत्तीसगढ़
राज्य के इतिहासविद् बताते हैं कि वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) राज्य अस्तित्व में आया। उस समय छत्तीसगढ़ में 36 गढ़ थे। गढ़ का अर्थ रियासतों की जमीदारी से माना जाता है, उनकी सीमाओं से माना जाता है। इन 36 गढ़ों के कारण ही छत्तीसगढ़ का नाम पड़ा। राज्य में कई तरह की बोली लोग बोलते हैं। यहां की प्रमुख बोली छत्तीसगढ़ी है। छत्तीसगढ़ी के साथ ही प्रदेश में माढ़िया, हल्बी, गोंडी समेत अन्य बोली भी विभिन्न समाज बोलते हैं।
छत्तीसगढ़ को पहचान दिलाने बाले कौन थे बघेल
बता दें कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) को अस्तित्व में लाने में सबसे पहले जिस महान हस्ती का नाम आता है वह नाम है डॉ. खूबचंद बघेल। जी हां यह ऐसा नाम है, जिसको हर छत्तीसगढ़वासी जानता है। इसके इतर कम लोग ही जानते हैं कि उन्होंने सबसे पहले छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण का सपना देखा था। उन्हीं के सपनों की बदौलत ही आज छत्तीसगढ़ देश का प्रमुख राज्य है। विश्व में भी इस राज्य की पहचान इसके प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की संस्कृति से की जाती रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन को दी गति
बताया जा रहा है कि डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ में नए राज्य की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ दिया। वे जीवन के अंतिम समय तक सभी जनहितैषी गतिविधियों से जुड़कर छत्तीसगढ़ की सेवा करते रहे। छत्तीसगढ़ राज्य की मांग को लेकर जारी आंदोलन को उन्होंने ही तेज गति दी थी। उनकी इस आंदोनल में सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका रही। डॉ. बघेल ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर सक्रिय रूप से आंदोलनों से जुडे़ और युवाओं को भी जोड़ा।
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बिलासपुर को राजधानी बनाने का था विचार
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) राज्य के निर्माण के बाद इसकी राजधानी कौनसा शहर होगा, इस पर विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान पहले बिलासपुर को राजधानी बनाने पर चर्चा के साथ विचार हुआ। उस समय बिलासपुर शहर अभी की राजधानी रायपुर से अधिक विकसित था। काफी विचार-विमर्श के बाद रायपुर को छत्तीसगढ़ की राजधानी बनाना तय हुआ और रायपुर राजधानी है। बता दें छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल 1, 35, 192 किलोमीटर है। इस राज्य का सबसे बड़ा शहर रायपुर है।
पहली बार कांग्रेस ने किया था राज
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) के मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद पहली सरकार कांग्रेस की थी। इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी बने। 2003 में बीजेपी की सरकार बनी। दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह चुने गए। उन्होंने प्रदेश में 15 साल राज किया। इसके बाद फिर कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे। फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी और अब विष्णुदेव साय प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
एक करोड़ बनी 24 साल में जनसंख्या
राज्य के गठन के बाद प्रदेश की जनसंख्या वर्ष 2000 हजार में करीब 2 करोड़ थी। जब वर्ष 2011 में जनगणना (Chhattisgarh Sthapna Diwas 2024) हुई तो यह आंकड़ा करीब ढाई करोड़ जनसंख्या पर पहुंचा। इसके बाद अब 2024 की बात करें तो प्रदेश की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ से ज्यादा हो गई है। वर्ष 2001 प्रदेश की साक्षरता दर 64.66 प्रतिशत थी। जो कि वर्तमान में बढ़कर यहां की साक्षरता दर 75 प्रतिशत के आसपास है।
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