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Chhattisgarh School Bus Checking
Chhattisgarh School Bus Checking: छत्तीसगढ़ में 16 जून से स्कूल खुल गए हैं। इससे एक दिन पहले रविवार को राजधानी रायपुर और जगदलपुर में प्रशासन पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आया। स्कूल बसों की फिटनेस, दस्तावेजों और चालक-परिचालक के स्वास्थ्य की जांच की गई। रायपुर में हुई जांच में 418 में से 116 बसों में गंभीर खामियां पाई गईं, जिनमें आग से निपटने के संसाधनों की कमी, खराब वाइपर, टायर और ब्रेक जैसी खामियां शामिल थीं। प्रशासन ने साफ निर्देश दिए हैं कि जब तक खामियां दूर नहीं होतीं, तब तक बसों को चलने नहीं दिया जाएगा।
ड्राइवरों की भी हुई मेडिकल जांच
बसों के साथ-साथ उनके ड्राइवर और स्टाफ की मेडिकल जांच भी की गई। इस दौरान कुछ ड्राइवरों में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोतियाबिंद और आंखों की कमजोरी जैसी समस्याएं पाई गईं। इन्हें तत्काल इलाज कराने और नियमित दवा लेने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जरूरी दवाएं भी लिखीं और निर्देश दिए कि जो ड्राइवर फिट नहीं हैं, उन्हें बस संचालन से हटाया जाए।
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Chhattisgarh School Bus Checking[/caption]
वसूला गया 18 हजार का जुर्माना
बसों की जांच (Chhattisgarh School Bus Checking) के दौरान जहां गड़बड़ी मिली, वहां तत्काल 18 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। जिन स्कूलों ने अपनी बसें जांच के लिए नहीं भेजीं, उन्हें ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी की जा रही है। अफसरों ने साफ कर दिया है कि यदि तय समय में खामियों को दूर नहीं किया गया, तो बसें सड़क पर ही रोक दी जाएंगी। ये स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी मानी जाएगी।
89 बसों के परमिट होंगे रद्द
बस्तर जिले में भी स्कूल बसों की बड़े स्तर पर जांच (Chhattisgarh School Bus Checking) हुई। कुल 130 स्कूल बसों में से केवल 41 ही निरीक्षण के लिए पहुंचीं। इनमें से 5 बसों में HSRP (High Security Registration Plate) नहीं पाया गया। जबकि 89 बसें निरीक्षण में अनुपस्थित रहीं। आरटीओ ने इन सभी बसों के परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट रद्द करने का निर्णय लिया है। साथ ही इन बसों को ब्लैकलिस्टेड कर संबंधित स्कूलों को नोटिस जारी किया जाएगा।
स्कूल बसों में पैनिक बटन और पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि बिना पैनिक बटन वाली स्कूल बसों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही निजी स्कूलों की बसों के चालकों और परिचालकों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया गया है। अब किसी भी स्कूल बस को बिना इन शर्तों को पूरा किए संचालन की अनुमति नहीं मिलेगी।
नेत्र परीक्षण से लेकर प्रशिक्षण तक, सुरक्षा में कोई समझौता नहीं
स्वास्थ्य विभाग द्वारा चालकों और परिचालकों का नेत्र परीक्षण और संपूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। सभी स्कूल अटेंडेंट्स को एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के साथ परिचालक लाइसेंस बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। इससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
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