Chhattisgarh RTE Admission Delay News: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत प्रदेश के निजी स्कूलों में बीपीएल और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों पर इस साल पहली लॉटरी के जरिए 40 हजार बच्चों को प्रवेश के लिए चुना गया था। इनमें से 36 हजार बच्चों ने सफलतापूर्वक स्कूलों में दाखिला ले लिया है, लेकिन करीब 4 हजार सीटें अब भी रिक्त हैं।
इन सीटों पर विभिन्न कारणों से अभिभावकों ने बच्चों का दाखिला नहीं (RTE Admission Delay) कराया है। अब इन रिक्त सीटों को भरने के लिए आरटीई के दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया शुरू होनी थी, जो फिलहाल शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में उलझने के कारण विलंबित हो गई है।
2 जून से शुरू होना था दूसरा चरण
पूर्व में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा घोषित समय सारणी के अनुसार, आरटीई के दूसरे चरण के तहत रिक्त सीटों के लिए 2 जून से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होनी थी। लेकिन अब तक वेबसाइट पर फॉर्म चालू नहीं किए गए हैं।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इन दिनों पूरा अमला शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण यानी पदस्थापन और स्थानांतरण प्रक्रिया में व्यस्त है, जिससे RTE की प्रक्रिया (RTE Admission Delay) को प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है। इस देरी से हजारों गरीब बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है, वहीं अभिभावकों में भी चिंता का माहौल है।
रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और जांजगीर में भी रिक्त सीटें
प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में आरटीई सीटों की भरती की स्थिति भी साफ हो चुकी है। रायपुर जिले में कुल 4953 सीटें आरक्षित थीं, जिनमें से पहली लॉटरी में 4510 सीटों के लिए चयन हुआ और 3868 बच्चों ने दाखिला लिया।
इसी तरह दुर्ग में 4292 सीटों में से 3097 पर चयन हुआ और 2772 ने प्रवेश लिया। बिलासपुर जिले में 4899 आरक्षित सीटों में से 3760 बच्चों का चयन हुआ, जिनमें से 3262 ने दाखिला लिया। वहीं जांजगीर जिले में 3460 सीटों पर लॉटरी हुई और 3157 बच्चों का एडमिशन पूरा हुआ।
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अब अभिभावकों को दूसरे चरण का इंतजार
प्रदेशभर के अभिभावक अब दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि शेष 4 हजार सीटों पर भी योग्य बच्चों को शिक्षा का अवसर मिल सके। लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट निर्देश या नई समय-सारणी जारी नहीं की गई है। यदि जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू नहीं की गई तो आरटीई की कई सीटें इस सत्र में खाली रह सकती हैं, जो कि अधिनियम की भावना और बच्चों के हितों के खिलाफ होगा।
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