Chhattisgarh Kuleshwar Mahadev: कुलेश्वर मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में राजिम नगर में स्थित है। यह रहस्यमय मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।
ये महादेव का रहस्य मंदिर राजिम रायपुर से 45 Km दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर बना हुआ है। इसी स्थान पर पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है।
इसका प्राचीन नाम ‘कमल क्षेत्र’ एवं ‘पद्मावतीपुरी’ है| इसे ‘छत्तीसगढ़ का प्रयाग’ माना जाता है।
त्रिवेणी संगम में माता सीता ने रेत से बनाया शिवलिंग
राजिम की पहचान आस्था, धर्म और संस्कृति नगरी के तौर पर की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि माता सीता ने त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की थी।
उन्होंने अपने कुल के आराध्य देव की आराधना की थी, इसलिए इस शिवलिंग का नाम कुलेश्वरनाथ महादेव पड़ गया था। तीन नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण यहां बारिश के दिनों में नदियां पूरी तरह आवेग में होती हैं।
इसके बीच अपनी मजबूत नींव के साथ मंदिर सदियों से टिका हुआ है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मात्र 45 किलोमीटर दूर स्थित राजिम में नदी पर बना पुल 40 साल भी नहीं टिक पाया, जबकि वहां आठवीं सदी का कुलेश्वर महादेव मंदिर आज भी खड़ा है।
शिवलिंग का है पंचमुखी आकार
कुलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारियों की मानें तो यहीं वनवास के समय माता सीता ने जब शिवलिंग पर दूध की धारा प्रवाहित की, तो उस स्थान पर चार और शिवलिंगों ने आकार ले लिया।
तब से ये दुनिया का इकलौता पचंमुखी शिवलिंग बन गया है।
इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
राजिम के कुलेश्वर मंदिर से जुड़ी हुई एक और कथा काफी प्रचलित है। इस कथा में ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड के निर्माण के समय भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल के पत्ते पृथ्वी पर गिरे थे।
जहां ये पत्ते गिरे वह क्षेत्र पद्म या कमल क्षेत्र में बदल गए। राजिम का कुलेश्वर मंदिर इन सभी क्षेत्रों का केंद्र बना।
कुलेश्वर महादेव मंदिर के चमत्कारिक स्वरुप
राजिम में नदी के एक किनारे पर भगवान राजीवलोचन का मंदिर है और बीच में कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। इसके किनारे पर एक और महादेव मंदिर है, जिसे मामा का मंदिर कहा जाता है।
जिसका पौराणिक नाम पंचेश्वर महादेव है। कुलेश्वर महादेव मंदिर को भांजे का मंदिर कहते हैं। किंवदंती है कि बाढ़ में जब कुलेश्वर महादेव का मंदिर डूबता था तो वहां से मामा बचाओ आवाज आती थी।
इसी मान्यता के कारण यहां आज भी नाव पर मामा-भांजे को एक साथ सवार नहीं होने दिया जाता है। नदी किनारे बने मामा के मंदिर के शिवलिंग को जैसे ही नदी का जल छूता है उसके बाद बाढ़ उतरनी शुरू हो जाती है।
मंदिर में महादेव के अलावा शीतला माता, मां काली, काल भैरव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्ती है।
इन मार्ग से पहुंचे मंदिर
वायु मार्ग से आने का रास्ता – रायपुर (45 किमी) निकटतम हवाई अड्डा है और दिल्ली, विशाखापट्टनम एवं चेन्नई से जुड़ा है।
रेल मार्ग से आने का रास्ता – रायपुर निकटतम रेलवे स्टेशन है और यह हावड़ा मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है।
सड़क मार्ग से आने का रास्ता – राजिम नियमित बस और टैक्सी सेवा से रायपुर तथा महासमुंद से जुड़ा हुआ है।
इन सभी मार्गों से आप आसानी से इस महादेव के चमत्कारी मंदिर के दर्शन करने आ सकते हैं।
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