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CG News: राज्योत्सव में पहलगाम हमले के हीरो नजाकत अली का सम्मान, चिरमिरी के 11 लोगों की बचाई थी जान

CG News: राज्योत्सव में पहलगाम हमले के हीरो नजाकत अली का सम्मान, चिरमिरी के 11 लोगों की बचाई थी जान

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Harsh Verma
CG News: राज्योत्सव में पहलगाम हमले के हीरो नजाकत अली का सम्मान, चिरमिरी के 11 लोगों की बचाई थी जान

CG News: छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में आयोजित राज्योत्सव (Rajyotsav) के समापन समारोह में उस शख्स को सम्मानित किया गया, जिसने आतंक की आग में भी इंसानियत की मिसाल पेश की। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) हमले के चश्मदीद और जान बचाने वाले नजाकत अली (Nazakat Ali) को मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल (Shyam Bihari Jaiswal) और सांसद रेणुका सिंह (Renuka Singh) ने सम्मानित किया।

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यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस हिम्मत और मानवता को दिया गया जिसने मौत के साये में भी दूसरों के जीवन की लौ जलाए रखी।

22 अप्रैल को हुआ था आतंकी हमला

नजाकत अली ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बेसरनबेली (Basarnabelli) इलाके में यह भीषण आतंकी हमला (Terror Attack) हुआ था। वे उसी वक्त घटनास्थल पर मौजूद थे, जब आतंकियों ने अचानक शैलानियों (Tourists) पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं।

इस हमले में उनके भाई समेत कई भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी। बावजूद इसके, नजाकत अली ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए चिरमिरी (Chirmiri) से गए चार परिवारों के 11 शैलानियों की जान बचाई। उन्होंने बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।

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चिरमिरी के लोग कृतज्ञ

हमले में जिन परिवारों को बचाया गया, उनमें लक्की परासर (Lucky Parasar), अरविंद अग्रवाल (Arvind Agrawal), शिवांस जैन (Shivans Jain) और हैप्पी वधावन (Happy Wadhawan) जैसे लोग शामिल थे, जो अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ कश्मीर घूमने गए थे।

इन सभी ने कहा कि नजाकत अली ने जिस तरह मौके पर बहादुरी दिखाई, वह किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं था। उनकी सूझबूझ और साहस के कारण कई मासूम जानें बच सकीं।

कश्मीर और छत्तीसगढ़ का अनोखा रिश्ता

नजाकत अली पिछले 15 सालों से ठंड के मौसम में चिरमिरी आकर कश्मीरी गर्म कपड़ों (Kashmiri Woollen Clothes) का व्यापार करते हैं। वहीं, गर्मियों में वे कश्मीर में पर्यटन (Tourism) से जुड़ा काम संभालते हैं।

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राज्योत्सव में उन्हें सम्मानित किए जाने के बाद लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उनकी दूसरी मातृभूमि है और यहां के लोगों ने हमेशा उन्हें परिवार का सदस्य माना है।

नजाकत की बहादुरी से सीखी इंसानियत

नजाकत अली की कहानी यह साबित करती है कि इंसानियत धर्म और प्रदेश से ऊपर होती है। पहलगाम की खूनी शाम में उनका साहस कई परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बना। राज्योत्सव में दिया गया यह सम्मान पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है।

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