Raipur Tomar Brothers Case: रायपुर (Raipur) के तेलीबांधा और पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में दर्ज सूदखोरी (Money Lending) और एक्सटॉर्शन (Extortion) मामले में फरार चल रहे वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर की अग्रिम जमानत अर्जी पर मंगलवार को बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने सुनवाई की।
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7 एफआईआर पर कोर्ट की नाराजगी
सुनवाई के दौरान अदालत ने रायपुर पुलिस द्वारा एक साथ दर्ज की गई 7 एफआईआर (FIR) पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने रायपुर एसपी (Raipur SP) से पूछा कि आखिर किन आधारों पर इतनी सारी केस फाइल एक साथ दर्ज की गईं। अदालत ने एसपी को दो सप्ताह में व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ जवाब देने का आदेश दिया है।
पुलिस की कार्रवाई और आरोप
तोमर बंधुओं के घर पर पुलिस ने दबिश दी थी, जहां से कई चेक और जमीनों के दस्तावेज बरामद किए गए। जांच में यह सामने आया कि मामला आर्गेनाइज क्राइम (Organized Crime) से जुड़ा हुआ है। इसी आधार पर पुलिस ने सात अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू की।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील सजल गुप्ता ने अदालत में तर्क दिया कि पुलिस दुर्भावनापूर्ण तरीके से कार्रवाई कर रही है। उनका कहना था कि उनके मुवक्किल को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है और इस तरह की कार्रवाई दबाव बनाने के लिए की जा रही है।
फरार चल रहे हैं तोमर बंधु
पुलिस के अनुसार, वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर गिरफ्तारी से बचने के लिए लंबे समय से फरार हैं। जानकारी मिली कि रोहित ने अपनी पत्नी भावना के नाम से एक ऑफिस खोला था, जहां से सूदखोरी का धंधा चलता था। फिलहाल पुलिस उनकी तलाश कर रही है और दोनों भाइयों की जानकारी देने पर इनाम भी घोषित किया गया है।
हाईकोर्ट की अगली सुनवाई
अदालत ने केस डायरी भी तलब की है और साफ किया कि इस मामले में जल्द ही विस्तृत सुनवाई की जाएगी। अब दो सप्ताह बाद इस मामले पर अगली सुनवाई होगी, जिसमें पुलिस का जवाब अहम माना जा रहा है।
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