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CG Rawatpura Sarkar University Fees Hike
Rawatpura Bribery Case: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) से जुड़ा रिश्वतकांड सामने आया है। यह मामला मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। सीबीआई चार्जशीट में 53 लाख के लेन-देन, जांच दल के गठन से पहले ही फ्लाइट टिकट बुकिंग, घोस्ट फैकल्टी और फर्जी मरीजों की जानकारी उजागर हुई है।
सीबीआई (CBI) द्वारा दाखिल चार्जशीट में सामने आया है कि मेडिकल कॉलेज को मान्यता (Recognition) दिलाने के लिए 1.62 करोड़ रुपये की डील तय हुई थी। इसमें से 53 लाख रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ है। हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के निरीक्षण बोर्ड के गठन से पहले ही सदस्यों के फ्लाइट टिकट बुक कर दिए गए थे।
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मोबाइल सर्विलांस से हुआ पर्दाफाश
जांच के दौरान सीबीआई ने रविशंकर महाराज (Ravishankar Maharaj), संजय शुक्ला (Sanjay Shukla), डॉ. अतिन कुंडू (Dr. Atin Kundu), मेयूर रावल (Mayur Rawal) समेत 10 लोगों के मोबाइल फोन सर्विलांस पर लिए। बातचीत और डेटा से साफ हुआ कि जांच टीम की जानकारी पहले ही कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचा दी गई थी।
निरीक्षण से पहले हुआ फर्जीवाड़ा
सीबीआई की रिपोर्ट बताती है कि कॉलेज ने निरीक्षण (Inspection) को अनुकूल दिखाने के लिए कई जुगाड़ अपनाए। इसमें घोस्ट फैकल्टी (Ghost Faculty), नकली मरीज (Fake Patients) और फर्जी उपस्थिति (Fake Attendance) का सहारा लिया गया। इसका मकसद यह था कि मेडिकल काउंसिल कॉलेज को मान्यता दे दे।
कॉलेज को “जीरो ईयर” घोषित
जांच में गड़बड़ियां सामने आने के बाद इस वर्ष कॉलेज को “जीरो ईयर” (Zero Year) घोषित कर दिया गया है। यानी अब इसमें किसी भी नए छात्र का दाखिला (Admission) नहीं होगा। यह फैसला छात्रों और शिक्षा की गुणवत्ता दोनों को बचाने के लिए लिया गया है।
सीबीआई ने इस मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के सदस्यों और कॉलेज प्रबंधन से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। एजेंसी का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।
कॉलेज को मान्यता दिलाने के बदले रिश्वत
बता दें कि श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के बदले रिश्वत लेने की जानकारी के आधार पर सीबीआई यह कार्रवाई कर रही है। CBI का दावा है कि मान्यता दिलाने के लिए 1.62 करोड़ रुपये की डील हुई थी। CBI की जांच में यह साफ हुआ है कि आरोपी डॉक्टरों और कुछ अफसरों ने कॉलेज प्रबंधन से मिलीभगत किया था।
सीबीआई के अनुसार आरोपियों ने निरीक्षण से पहले ही जांच टीम की जानकारी लीक कर दी थी। इसके बाद मेडिकल कालेज ने घोस्ट फैकल्टी, नकली मरीज और फर्जी उपस्थिति जैसे फार्मूले अपनाकर निरीक्षण को अनुकूल दिखाया। जिससे की मान्यता प्राप्त हो जाए।
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