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रायपुर के DKS अस्पताल में डॉक्टरों ने किया चमत्कार: 9 साल की बच्ची की आंख से दिमाग में घुसी घंटी, निकालकर बचाई जान

Raipur DKS Hospital Surgery: रायपुर के DKS अस्पताल में डॉक्टरों ने किया चमत्कार, 9 साल की बच्ची की आंख से दिमाग में घुसी घंटी, निकालकर बचाई जान

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Harsh Verma
Raipur DKS Hospital Surgery

Raipur DKS Hospital Surgery: बिलासपुर के सिविल लाइन इलाके (Civil Line Bilaspur) की 9 साल की काव्या दिवाली की रात खेलते-खेलते मुंह के बल गिर गई। जिस छोटी घंटी (Bell) से वह खेल रही थी, उसका ऊपरी हिस्सा उसकी बाईं आंख में घुस गया और सीधे दिमाग (Brain) तक पहुंच गया। हादसे के तुरंत बाद परिवार ने उसे सिम्स अस्पताल (SIMS Hospital) बिलासपुर पहुंचाया।

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वहां एक्स-रे और सीटी स्कैन में पता चला कि घंटी का हैंडल आंख की हड्डी (Eye Orbit) पार कर ब्रेन टिशू (Brain Tissue) तक जा पहुंचा है। बच्ची की हालत गंभीर थी, इसलिए डॉक्टरों ने तुरंत उसे रायपुर के डीकेएस अस्पताल रेफर कर दिया।

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दिवाली की रात जुटी डॉक्टरों की टीम

दिवाली की रात जब ज्यादातर डॉक्टर छुट्टी पर थे, तब डीकेएस अस्पताल की इमरजेंसी टीम फौरन एक्टिव हो गई। न्यूरोसर्जन (Neurosurgeon) डॉ. राजीव साहू (Dr. Rajeev Sahu) ने सर्जरी की कमान संभाली। टीम में डॉ. लवलेश राठौर, डॉ. नमन चंद्राकर, डॉ. प्रांजल मिश्रा और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ (Anesthesia Expert) डॉ. देवश्री शामिल थीं।

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[caption id="" align="alignnone" width="320"]publive-image घंटी का हैंडल लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर दिमाग के अंदर तक घुसा हुआ था।[/caption]

टीम ने पूरी रात ऑपरेशन थियेटर में जटिल सर्जरी की। डॉक्टरों ने एंडोस्कोपिक (Endoscopic) तकनीक का इस्तेमाल किया ताकि दिमाग के ऊत्तकों को कम से कम नुकसान पहुंचे। भौंह के ऊपर (Supraorbital) जगह पर चीरा लगाकर घंटी के हिस्से को सावधानी से निकाला गया।

4 घंटे चला ऑपरेशन, आंख और दिमाग दोनों सुरक्षित

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घंटी का हैंडल लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर दिमाग के अंदर तक घुसा हुआ था। ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। डॉक्टरों को हर मिलीमीटर पर सटीकता रखनी पड़ी। आखिरकार घंटी का हिस्सा सुरक्षित रूप से बाहर निकाला गया। इसके बाद डॉक्टरों ने दिमाग की बाहरी परत (Dura) को रिपेयर किया।

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सर्जरी करीब 4 घंटे चली। जब बच्ची ने होश में आने के बाद दोनों आंखों से साफ देखा और मुस्कुराई, तो ओटी रूम तालियों से गूंज उठा। डॉक्टरों के मुताबिक, मामूली गलती भी जानलेवा हो सकती थी, लेकिन पूरी टीम की सूझबूझ ने एक बड़ी सफलता दर्ज की।

खतरे की रेखा से बाहर आई काव्या

[caption id="" align="alignnone" width="606"]publive-image न तो ब्लड वेसल्स को नुकसान हुआ, न ही आंख की रोशनी गई।[/caption]

डॉक्टरों का कहना है कि जिस दिशा में घंटी गई थी, उससे ब्रेन हैमरेज (Brain Hemorrhage), पैरालिसिस (Paralysis), मिर्गी (Epilepsy) या आंख की रौशनी जाने का खतरा था। लेकिन ऑपरेशन में इतनी सटीकता बरती गई कि न तो ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) को नुकसान हुआ, न ही आंख की रोशनी गई।

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अब काव्या पूरी तरह स्वस्थ है और डॉक्टरों की निगरानी में है। यह ऑपरेशन न सिर्फ चिकित्सा कौशल का उदाहरण है बल्कि मानवीय संवेदना और हिम्मत की मिसाल भी है।

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