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छत्तीसगढ़ में खत्म हुई पंचायत सचिवों की हड़ताल: पंचायत मंत्री से मुलाकात के बाद फैसला, शासकीयकरण को लेकर हुआ ये निर्णय

CG Panchayat Secretary Strike: छत्तीसगढ़ में खत्म हुई पंचायत सचिवों की हड़ताल, पंचायत मंत्री से मुलाकात के बाद फैसला, शासकीयकरण को लेकर हुआ ये निर्णय

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Harsh Verma
CG Panchayat Secretary Strike

हाइलाइट्स

  • छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों की हड़ताल स्थगित
  • 32 दिन बाद हटी पंचायत सचिवों की हड़ताल
  • सरकार से बनी आंशिक सहमति
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CG Panchayat Secretary Strike: छत्तीसगढ़ में शासकीयकरण (Government Regularization) और वेतन वृद्धि (Salary Hike) की मांग को लेकर बीते 32 दिनों से हड़ताल पर बैठे पंचायत सचिवों (Panchayat Secretaries) ने अब आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया है। पंचायत सचिव संघ (Panchayat Secretary Union) के कार्यकारी अध्यक्ष कोमल निषाद (Komal Nishad) ने इसकी जानकारी दी।

मंत्री विजय शर्मा से बातचीत बनी निर्णायक

पंचायत सचिवों की राज्य स्तरीय हड़ताल स्थगित, डिप्टी सीएम शर्मा से चर्चा के बाद लिया फैसला…

पंचायत मंत्री विजय शर्मा (Vijay Sharma) से चार दिन तक चली चर्चा के बाद सरकार और पंचायत सचिवों के बीच समझौता हुआ है। इसके बाद पंचायत सचिवों ने अपनी हड़ताल को अस्थायी रूप से खत्म करने की घोषणा की है। यह आंदोलन पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर चल रहा था, और 28 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की भी तैयारी थी।

2026 तक रिपोर्ट के आधार पर होगा शासकीयकरण

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गठित कमेटी वर्ष 2026 तक अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाएगा। साथ ही, चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के लिए नई गाइडलाइन (Medical Reimbursement Guideline) भी जल्द जारी की जाएगी।

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रुका हुआ वेतन और वेतन विसंगति पर भी समाधान

मंत्री विजय शर्मा ने यह भी भरोसा दिलाया कि जिन सचिवों ने 15 साल की सेवा पूरी कर ली है, उनकी वेतन सत्यापन (Salary Verification) से जुड़ी समस्याएं दूर की जाएंगी। इसके अलावा आंदोलन की अवधि के दौरान रोका गया वेतन भी शीघ्र स्वीकृत किया जाएगा।

संघर्ष की आंशिक जीत मानकर लिया फैसला

पंचायत सचिवों ने सरकार के रुख को सकारात्मक बताते हुए इस आंदोलन को फिलहाल रोकने का निर्णय लिया है। उन्होंने इसे संघर्ष की "आंशिक जीत" करार दिया और सरकार को चेताया कि अगर वादे पूरे नहीं किए गए तो भविष्य में फिर से आंदोलन तेज़ किया जाएगा।

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