Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा से एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दो बच्चों के मृत शरीर को उनके माता-पिता को कंधे पर ले जाते हुए देखा जा सकता है।
यह परिवार स्वास्थ्य केंद्र से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने गांव की ओर पैदल चला है, लेकिन उन्हें अस्पताल से न तो एंबुलेंस मिली और न ही कोई अन्य सुविधा उपलब्ध हुई। यह दिल को झकझोरने वाला दृश्य है, जो हमें स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में असुविधाओं की हकीकत बयां करता है।
जगदलपुर: दिल झकझोर देने वाला मामला, बीमार 'सिस्टम', की वजह से मासूमों ने तोड़ा 'दम' pic.twitter.com/egxTeFnHIy
— Bansal News (@BansalNewsMPCG) September 6, 2024
परिजन बच्चों को ले गए थे झाड़फूंक कराने
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के अहेरी गांव (Chhattisgarh News) में एक दुखद घटना घटी। 3-4 सितंबर को दो सगे भाइयों बाजीराव (6 साल) और दिनेश (4 साल) की तबीयत बिगड़ गई। दोनों को तेज बुखार था। परिजन उन्हें पास के पट्टीगांव ले गए और झाड़फूंक कराया। झाड़फूंक करने वाले सिरहा ने उन्हें एक जड़ी-बूटी दी और दावा किया कि उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी। लेकिन दुर्भाग्य से, दोनों बच्चों की मौत हो गई।
काफी जूझने के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस
दोनों सगे भाइयों बाजीराव और दिनेश की तबीयत बिगड़ने के बाद परिजन उन्हें पहले झाड़फूंक के लिए ले गए, लेकिन इससे उनकी तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद, परिजन उन्हें जिमलगट्टा के स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां दोनों बच्चों को भर्ती किया गया, जहां दोनों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद, रोते-बिलखते परिजन ने बच्चों के शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की, लेकिन काफी जूझने के बाद भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली। मजबूरन, दोनों बच्चों के शव को उठाकर वे पैदल घर निकल गए।
न एंबुलेंस मिली न सड़क
मासूम बच्चों के माता-पिता को सिस्टम की लापरवाही का सामना करना पड़ा। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद, उन्हें एंबुलेंस न मिलने के कारण पैदल ही घर जाना पड़ा। वे कीचड़ और जंगल के रास्ते से होकर 15 किलोमीटर पैदल चले। इस दौरान, कुछ लोगों ने उनका वीडियो बना लिया, जिसके बाद यह मामला उजागर हुआ और सिस्टम की लापरवाही को दर्शाया।
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