Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग द्वारा 22 जुलाई को नया शैक्षणिक कैलेंडर (New Education Calendar) जारी किया गया था। इसमें स्कूलों के संचालन के समय में बदलाव की घोषणा की गई थी, लेकिन 11 दिन बाद भी यह बदलाव जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो सका है। सवाल यह उठता है कि मंत्रालय से जारी आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है, और क्या यह जानबूझकर अनदेखी की जा रही है?
शनिवार को सामान्य समय पर स्कूल होंगे
नए शैक्षणिक कैलेंडर (Academic Calendar) के अनुसार, अब शनिवार को भी स्कूलों का संचालन सामान्य समयानुसार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होगा। पहले हर शनिवार को हाफ-डे (Half Day) की परंपरा थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। नए आदेश के तहत हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को बैगलेस डे (Bagless Day) रखा गया है। इस दिन बच्चों को विभिन्न गतिविधियाँ और विषय आधारित जानकारियाँ दी जाएंगी, ताकि उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़े।
जगदलपुर में स्कूलों में पुराने कैलेंडर का पालन जारी
हालांकि, जगदलपुर शहर (Jagdalpur) में स्थित भीमराव अंबेडकर शासकीय प्राथमिक शाला (Ambedkar Government Primary School) जैसे कई सिंगल शिफ्ट स्कूलों में शनिवार को 12 बजे ही ताले लगे मिले। जबकि नए कैलेंडर के अनुसार स्कूलों को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक संचालित होना चाहिए। यह कोई एकमात्र स्कूल नहीं था, बल्कि शहर के कई अन्य सिंगल शिफ्ट स्कूल भी पुराने कैलेंडर के अनुसार काम कर रहे थे। यदि शहरी इलाकों में यह स्थिति है, तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में इस आदेश का पालन किस हद तक हो रहा होगा।
नए आदेश में बच्चों के लिए बैगलेस डे और ज्ञानवर्धक गतिविधियाँ
नए कैलेंडर (Chhattisgarh News) के तहत बच्चों को महीने में दो शनिवार बिना बस्ता लाने के निर्देश दिए गए हैं। इन दो Saturdays को बच्चों को खेल, गतिविधियाँ और शैक्षिक जानकारी दी जाएगी। बाकी Saturdays को सामान्य अध्ययन होगा। यह नया बदलाव बच्चों को स्कूल में रुचि (Interest in School) और पढ़ाई के प्रति ध्यान केंद्रित करने के लिए लाया गया है।
प्रार्थना सभा में बच्चों को दी जाएंगी ज्ञानवर्धक जानकारी
हर महीने की प्रार्थना सभा (Morning Prayer Assembly) में बच्चों को एक विशिष्ट विषय पर जानकारी दी जाएगी। जुलाई में पर्यावरण जागरूकता (Environmental Awareness) पर बात की जाएगी और अगस्त में सुरक्षा (Safety) के विषय पर। इसके अंतर्गत बच्चों को बाल सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और यातायात नियमों (Traffic Rules) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक किया जाएगा।
शिक्षा अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी
इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग (Education Department) के जॉइंट डायरेक्टर ने एक मीडिया चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि स्कूलों के संचालन के समय पर फैसला जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) का होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच की जाएगी और लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। बस्तर की बीईओ (BEO) भारती देवांगन ने इस पर बयान देते हुए कहा कि उन्हें अब तक नया आदेश स्पष्ट रूप से प्राप्त नहीं हुआ है। वे जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा कर रहे हैं और इस विषय में एक और पत्र जारी करने की बात सामने आई है।
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शिक्षा विभाग में सुधार की उम्मीदें
इस तरह के मामलों (Chhattisgarh News) में शिक्षा विभाग की दिशा में सुधार की आवश्यकता महसूस होती है। आदेशों के बावजूद यदि उनके पालन में विफलता होती है, तो यह बच्चों की शिक्षा (Children’s Education) पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। शिक्षा अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी (Coordination Issues) और नए आदेशों के अनुपालन में देरी न केवल सरकारी योजनाओं को कमजोर करती है, बल्कि बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता (Educational Quality) को भी प्रभावित करती है।
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