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CG NAN Scam: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले में बड़ी कानूनी कार्रवाई के बीच दो वरिष्ठ अफसरों को जमानत (Bail) मिल गई है। रायपुर (Raipur) की विशेष ईडी अदालत (ED Court) ने रिटायर्ड आईएएस आलोक शुक्ला (IAS Alok Shukla) और आईएएस अनिल टुटेजा (IAS Anil Tuteja) को जमानत दी है।
हालांकि राहत की इस खबर के बावजूद अनिल टुटेजा अभी जेल (Jail) से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उन पर शराब घोटाले (Liquor Scam) में भी ईओडब्ल्यू (EOW) ने मामला दर्ज कर रखा है।
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सरेंडर से लेकर जमानत तक की कानूनी प्रक्रिया
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IAS आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा[/caption]
दोनों अफसरों ने 22 सितंबर को ईडी की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण (Surrender) किया था। कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह की ईडी कस्टडी (ED Custody) में दिल्ली भेजा था। 16 अक्टूबर को उनकी रिमांड (Remand) की अवधि पूरी हुई, जिसके बाद उन्हें रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों को सशर्त जमानत दे दी, लेकिन शराब घोटाले में दर्ज मामले के कारण अनिल टुटेजा को जेल में ही रहना होगा।
क्या है नान घोटाला?
फरवरी 2015 में छत्तीसगढ़ का नान घोटाला (NAN Scam) उस वक्त सुर्खियों में आया, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू (ACB/EOW) ने नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी (Raid) की थी।
इस कार्रवाई में करीब 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे। जांच में पता चला कि निगम के अधिकारी राइस मिलों (Rice Mills) से घटिया गुणवत्ता का चावल (Substandard Rice) ले रहे थे और इसके बदले रिश्वत (Bribe) में करोड़ों रुपए वसूले जा रहे थे।
चावल और नमक के नमूनों की जांच में यह साबित हुआ कि खाद्यान्न मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त था। भ्रष्टाचार (Corruption) का यह जाल इतना बड़ा था कि इसमें निगम के चेयरमैन, एमडी और दो आईएएस अधिकारियों के नाम भी सामने आए।
शिवशंकर भट्ट से लेकर दो IAS तक पहुंचे आरोप
शुरुआत में इस घोटाले में तत्कालीन अधिकारी शिवशंकर भट्ट (Shiv Shankar Bhatt) सहित 27 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। बाद में जांच के दायरे में निगम के उच्च पदस्थ अधिकारी और दो आईएएस अफसर — आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा भी शामिल हो गए। मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, और दोनों अधिकारियों को अदालत से फिलहाल अंतरिम राहत मिली है।
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