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छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव: इस दिन से लागू हो सकती है आचार संहिता, एक साथ कराए जा सकते हैं दोनों इलेक्शन

Chhattisgarh Local Body Elections: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव, इस दिन से लागू हो सकती है आचार संहिता, एक साथ कराए जा सकते हैं दोनों इलेक्शन

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Harsh Verma
Chhattisgarh Local Body Elections

Chhattisgarh Local Body Elections: छत्तीसगढ़ में इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री और अन्य राज्य मंत्री विभिन्न मंचों पर इस बात का संकेत दे चुके हैं।

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विधानसभा में इस संबंध में एक संशोधन विधेयक भी पारित किया जा चुका है। खबरों के अनुसार, 31 दिसंबर तक आचार संहिता लागू हो सकती है, और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।

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नगरीय निकाय संशोधन विधेयक इस दिशा में एक अहम कदम

राज्य सरकार केंद्र सरकार की "वन नेशन, वन इलेक्शन" योजना को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है, जिसके तहत नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने की योजना अंतिम चरण में है।

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विधानसभा में पारित नगरीय निकाय संशोधन विधेयक इस दिशा में एक अहम कदम था। पहले यह माना जा रहा था कि पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया के कारण चुनाव अप्रैल तक टल सकते हैं, लेकिन 30 दिसंबर को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के आदेश ने इस संभावना को समाप्त कर दिया।

31 दिसंबर तक लागू हो सकती है आचार संहिता 

राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, आचार संहिता 31 दिसंबर तक लागू हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव लगभग डेढ़ महीने में संपन्न हो सकते हैं।

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अनुमान है कि चुनाव 20 से 22 फरवरी 2025 के बीच हो सकते हैं। इसके पीछे प्रशासनिक तैयारियां और राजनीतिक कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें समय का सही प्रबंधन और चुनावी प्रक्रिया में कोई अड़चन न आने का मुद्दा प्रमुख है।

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कांग्रेस ने दोनों चुनावों को साथ कराने का किया विरोध

नगरीय निकाय संशोधन विधेयक के आधार पर इन दोनों चुनावों को एक साथ कराने का निर्णय लिया गया है, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि 74वें संविधान संशोधन के तहत यह व्यवस्था राज्य सरकार के दायरे में नहीं आती, और विधानसभा इसे बदल नहीं सकती।

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कांग्रेस ने सदन में इस विधेयक का विरोध किया था और कोर्ट जाने की धमकी दी थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर सरकार चुनावों में देरी करती है, तो कांग्रेस कोर्ट से स्थगन (स्टे) प्राप्त कर सकती है, जिससे सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है। इसलिए सरकार के लिए चुनाव जल्दी कराना जरूरी हो गया है।

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