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Chhattisgarh Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीति में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अचानक राजभवन जाकर राज्यपाल रमेन डेका (Governor Ramen Deka) से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद चर्चा है कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार की तारीख तय हो चुकी है और तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी।
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सरगुजा से दो विधायकों का नाम आगे
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लुण्ड्रा विधायक प्रबोध मिंज और अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल[/caption]
अंबिकापुर (Ambikapur) विधायक राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) और लुण्ड्रा (Lundra) विधायक प्रबोध मिंज (Prabodh Minj) रायपुर रवाना हो चुके हैं। दोनों ही नेताओं का प्रोफाइल मजबूत माना जाता है। प्रबोध मिंज दो बार महापौर और आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं, जबकि राजेश अग्रवाल ने हाल ही में पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) को हराकर बड़ा राजनीतिक उलटफेर किया था।
भाजपा की रणनीति और हरियाणा का फॉर्मूला
जानकारों का कहना है कि हरियाणा (Haryana) की तरह छत्तीसगढ़ में भी 14 मंत्री बनाए जा सकते हैं। फिलहाल राज्य में मुख्यमंत्री समेत 13 मंत्री हैं। 90 विधायकों की संख्या के हिसाब से 15 प्रतिशत यानी 13.5 मंत्री बन सकते हैं। ऐसे में तीन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करने का रास्ता साफ है।
गुरु खुशवंत सिंह का बढ़ा कद
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आरंग से भाजपा विधायक गुरु खुशवंत सिंह[/caption]
आरंग (Arang) से भाजपा विधायक गुरु खुशवंत सिंह (Guru Khushwant Singh) का नाम भी संभावित मंत्रियों की सूची में चर्चा में है। वे सतनामी समाज (Satnami Samaj) से आते हैं और उनके पिता गुरु बालदास (Guru Baldas) समाज में बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा अनुसूचित जाति वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए गुरु खुशवंत को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है।
गजेंद्र यादव का नाम लगभग तय
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दुर्ग से विधायक गजेंद्र यादव[/caption]
दुर्ग (Durg) से विधायक गजेंद्र यादव (Gajendra Yadav) को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। वे आरएसएस (RSS) से जुड़े हुए हैं और यादव समाज (Yadav Samaj) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओबीसी (OBC) वर्ग में यादव समाज की बड़ी हिस्सेदारी को देखते हुए उनकी दावेदारी मजबूत बताई जा रही है।
राजनीतिक समीकरण में बदलाव
मंत्रिमंडल विस्तार की इन चर्चाओं से साफ है कि भाजपा (BJP) रणनीतिक तौर पर सरगुजा (Surguja), अनुसूचित जाति (SC) और ओबीसी (OBC) वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। इससे न केवल संतुलन बनेगा, बल्कि आगामी चुनाव में सामाजिक समीकरण भी भाजपा के पक्ष में खड़े होंगे।
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