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Kanker Naxal Surrender
हाइलाइट्स
कांकेर में 100 से ज्यादा नक्सली सरेंडर
राजू सलाम और गीता ने छोड़ी हिंसा
ढाई करोड़ के इनामी हुए आत्मसमर्पण
Kanker Naxal Surrender : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में एक के बाद एक हो रहे सरेंडर अब यह संकेत दे रहे हैं कि राज्य में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है। सोमवार को कांकेर जिले के कोयलीबेडा थाना क्षेत्र के कामतेड़ा BSF कैंप में उत्तर बस्तर के कुख्यात नक्सली लीडर राजू सलाम ने अपनी पूरी कंपनी नंबर 5 की टीम के साथ हथियार डाल दिए।
वहीं कोण्डागांव जिले में 5 लाख की इनामी महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने भी पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। यह घटना छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या के इतिहास में सबसे बड़े आत्मसमर्पणों में से एक मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि इस सरेंडर से उत्तर बस्तर के कई क्षेत्रों को "नक्सल मुक्त" घोषित किया जा सकता है।
उत्तर बस्तर की सबसे बड़ी नक्सली कंपनी ने छोड़ा हिंसा का रास्ता
कांकेर में हुए इस सामूहिक आत्मसमर्पण ने सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन को एक बड़ी राहत दी है। बताया जा रहा है कि तीन बसों में भरकर 100 से अधिक नक्सली कामतेड़ा BSF कैंप पहुंचे। इन सभी ने हथियारों समेत पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इसमें कंपनी नंबर 5 के कमांडर राजू सलाम, प्रसाद, मीना, भास्कर, और राजमन जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जिनमें से राजू सलाम और राजमन पर 25-25 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
इसके अलावा 5 लाख से अधिक के 30 नक्सली और दर्जनों अन्य सक्रिय नक्सली भी इस लिस्ट में शामिल हैं। इन सभी को पुलिस और सुरक्षा बलों ने पहले से बनाए गए आत्मसमर्पण गुप्त मार्ग से लाया। गेंडाबेड़ा गांव तक पैदल चलने के बाद, उन्हें बीएसएफ की बसों से कामतेड़ा लाया गया।
आत्मसमर्पण की संख्या 100 के पार
हालांकि पुलिस की ओर से अब तक आत्मसमर्पण की संख्या को लेकर आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या 100 से अधिक है। इस पूरे ऑपरेशन में पुलिस महानिरीक्षक, वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी और BSF की टीम की अहम भूमिका रही। बताया जा रहा है कि 15 अक्टूबर को यह आत्मसमर्पण पहले से तय था, लेकिन सुरक्षा कारणों से इसे एक दिन बाद अंजाम दिया गया।
महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम का आत्मसमर्पण
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वहीं, कोण्डागांव जिले में सक्रिय पूर्वी बस्तर डिवीजन की टेलर टीम कमांडर (LBD) गीता उर्फ कमली सलाम ने भी पुलिस अधीक्षक वाॅय अक्षय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 5 लाख का इनाम घोषित था।
गीता ने बताया कि सरकार की विकास योजनाएं, सड़क और मोबाइल नेटवर्क जैसी सुविधाओं के साथ-साथ संगठन के भीतर मतभेद और वरिष्ठ नक्सलियों के लगातार आत्मसमर्पण से प्रेरित होकर उसने यह फैसला लिया। सरेंडर के बाद गीता को “छत्तीसगढ़ नक्सल उन्मूलन नीति” के तहत 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। साथ ही उसे पुनर्वास और सामाजिक मुख्यधारा में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ढाई करोड़ से ज्यादा के इनामी नक्सलियों का आत्मसमर्पण
इस बार जो बात सबसे उल्लेखनीय रही, वह यह कि सरेंडर करने वालों में कुल मिलाकर ढाई करोड़ से अधिक की इनामी राशि वाले नक्सली शामिल हैं। इनमें से कई सालों से माड़ डिवीजन और रावघाट एरिया कमेटी जैसे अति-संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सरेंडर केवल सुरक्षा बलों की सफलता नहीं, बल्कि सरकार की नीति और आम नागरिकों के सहयोग का भी परिणाम है।
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पत्रकारों को कवरेज से रोका गया
इस पूरे घटनाक्रम को बेहद गोपनीय रखा गया था। सुरक्षा के लिहाज से पत्रकारों को मौके की कवरेज करने की अनुमति नहीं दी गई। पुलिस का कहना है कि एक बार सभी नक्सलियों की पुष्टि और रिकॉर्ड जांच पूरी होने के बाद मीडिया के समक्ष उनकी औपचारिक पेशी (प्रेस शो) कराई जाएगी।
क्या अब नक्सल मुक्त हो जाएगा कांकेर ?
रावघाट एरिया कमेटी और माड़ डिविजन में सक्रिय इतने बड़े नेटवर्क के सरेंडर के बाद माना जा रहा है कि कांकेर जिला नक्सल मुक्त होने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा चुका है। पुलिस को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में अधिक आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी हो सकती हैं।
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