Chhattisgarh Katahal products: छत्तीसगढ़ में अब तक किसान जिस फसल को पकने के बाद अनुपयोगी मानकर फेंकता आया हैं, अब वहीं फसल उन अन्नदाताओं को मालामाल बनाएगी। जानें इस पकी फसल से किसान कैसे जबरदस्त कमाई कर सकेंगे।
दरअसल, छत्तीसगढ़ अब सिर्फ कटहल की खेती तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कटहल आधारित खाद्य उत्पादों का केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। देशभर में कटहल उत्पादन में पांचवें स्थान पर मौजूद छत्तीसगढ़ के बस्तर, सरगुजा और जशपुर जैसे क्षेत्रों में हर साल बड़ी मात्रा में कटहल की पैदावार होती है।
पास्ता जैसे बनाएंगे 20 से ज्यादा उत्पाद
कटहल पकने के बाद कोई विशेष उपयोग नहीं होता था, जिसे फेंकना किसानों की मजबूरी बन चुकी थी। जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन अब यह स्थिति बदलने वाली है। किसान अब पके कटहल से भी तगड़ी कमाई कर सकेंगे। किसान कटहल से चिप्स, मुरब्बा, जैकफ्रूट बार, मिक्सचर, पास्ता और पाउडर जैसे 20 से अधिक उत्पादन बना सकेंगे।
दी जाएगी फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग
महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी यूनिवर्सिटी की ओर से यह पहल शुरू की गई, जिसमें यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और छात्र किसानों को कटहल के वैज्ञानिक उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तक की ट्रेनिंग देंगे। इसमें उन्हें विभिन्न उत्पाद बनाने, मार्केटिंग का तरीका बताएंगे।
3 साल में निकलता है वियतनामी कटहल
विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ की जलवायु वियतनामी कटहल की खेती के लिए उपयुक्त है। यह किस्म तीन साल में फल देना शुरू कर देती है। यूनिवर्सिटी के फल वैज्ञानिक डॉ. पूर्णेन्द्र साहू का कहना है कि किसानों को फूल झड़ने से रोकने और अच्छी पैदावार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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तमिलनाडु तकनीक से होगी प्रोसेसिंग
जैकफ्रूट प्रोसेसिंग में दक्षिण भारत पहले से अग्रणी है। इसी क्रम में यूनिवर्सिटी द्वारा तमिलनाडु के वैज्ञानिकों से भी संपर्क किया गया है। उनके मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में कटहल प्रसंस्करण की तकनीक को बेहतर किया जाएगा। इस पहल में कटहल उत्पादक किसानों को भी जोड़ा गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी डिमांड
कटहल के उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ रही है। इस पहल से छत्तीसगढ़ के किसानों को कटहल की फसल से अतिरिक्त आय प्राप्त होगी और राज्य की आर्थिक स्थिति को भी और मजबूती मिल जाएगी।
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