/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/CG-HighCourt-Decision-2.webp)
CG HighCourt Decision
हाइलाइट्स
हाईकोर्ट ने 39 साल पुराने रिश्वत केस में सुनाया फैसला
ट्रायल कोर्ट ने 2004 में सुनाई थी एक साल की सजा
हाईकोर्ट में अपील के बाद मिली आरोपी को राहत
CG HighCourt Decision: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 39 साल पुराने 100 रुपए के रिश्वत केा में आरोपी को बरी कर दिया है। मध्यप्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MPSRTC) रायपुर के बिल सहायक रामेश्वर प्रसाद अवधिया दोषमुक्त हो गए हैं। इसके लिए उन्हें 39 साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
हाईकोर्ट ने यह सुनाया फैसला
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, शिकायतकर्ता पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी ने रिश्वत मांगी या स्वीकार किया। साथ ही उन्होंने कहा- मौखिक, दस्तावेजी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोप को सिद्ध नहीं कर सके। इसलिए अवधिया को बाइज्जत बरी किया जाता है।
क्या है पूरा मामला ?
MPSRTC के कर्मचारी अशोक कुमार वर्मा ने साल 1981 से 1985 में बकाया बिल (एरियर) पास करने के लिए रामेश्वर प्रसाद अवधिया पर 100 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस के पास दर्ज कराई। लोकायुक्त पुलिस टीम ने शिकायतकर्ता को 50-50 रुपए के रासायनिक लगे नोट देकर भेजा और अवधिया को ट्रैप किया।
फिर अवधिया को रंगे हाथों पकड़कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। फिर कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद 2004 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 13(1)(डी) सहपठित 13(2) के तहत एक साल जेल की सजा सुनाई। साथ ही एक हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। इसके बाद अवधिया ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
ये भी पढ़ें: Raipur : NHM कर्मियों की हड़ताल खत्म 5 मांगों पर सरकार सहमत, वेतन वृद्धि और 5 लाख कैशलेस बीमा का मिला फायदा
हाईकोर्ट ने यह सुनाया फैसला ?
हाईकोर्ट के जस्टिस बी.डी. गुरु की बेंच ने सुनवाई में पाया कि, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी ने रिश्वत मांगी या स्वीकार किया। साथ ही मौखिक, दस्तावेजी और परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोप को सिद्ध नहीं कर सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि 1947 और 1988 के भ्रष्टाचार निवारण कानूनों में अंतर है। नए अधिनियम के अनुरूप साक्ष्य न होने पर दोषसिद्धि कायम नहीं रह सकती। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए अवधिया को बरी कर दिया।
कार्टून में भरकर कांग्रेस ऑफिस पहुंचता था करोड़ों कैश: सीजी शराब घोटाला में ED का खुलासा, सौम्या अफसरों को देती थी गाली
Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। आरोप है कि घोटाले की रकम कार्टून (Cartons) में भरकर सीधे कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन (Rajiv Bhawan) पहुंचाई जाती थी। अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) का मैनेजर दीपेन चावड़ा (Dipen Chawda) एक बार में 10 कार्टून कार से लेकर जाता था। हर कार्टून में 1 करोड़ रुपए होते थे। यानी एक बार में 10 करोड़ रुपए की डिलीवरी होती थी। इस तरह हर महीने करीब 40 कार्टून में 40 करोड़ रुपए पहुंचाए जाते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/Chhattisgarh-Liquor-Scam-2.webp)
चैनल से जुड़ें