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पश्चिम बंगाल के श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगाई याचिका: पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- बांग्लादेशी कहकर की पिटाई

Chhattisgarh High Court: पश्चिम बंगाल के श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगाई याचिका, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- बांग्लादेशी कहकर की पिटाई

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोंडागांव (Kondagaon) जिले में निर्माण कार्य के लिए गए पश्चिम बंगाल (West Bengal) के महबूब शेख (Mehboob Sheikh) समेत 12 श्रमिकों के साथ पुलिस द्वारा की गई कथित मारपीट और ग़ैरकानूनी हिरासत (Illegal Custody) के खिलाफ अब मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंच गया है।

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इन सभी श्रमिकों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 128 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द (Quash) करने की मांग की है।

हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु (Justice BD Guru) की डबल बेंच ने इस मामले में राज्य शासन को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह में अपना प्रति उत्तर दाखिल करने को कहा गया है।

पुलिस पर गंभीर आरोप

मामला 29 जून का है, जब मुर्शिदाबाद (Murshidabad) और कृष्णा नगर (Krishnanagar) के श्रमिक कोंडागांव में स्कूल निर्माण (School Construction) के लिए पहुंचे थे।

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12 जुलाई को इन्हें साइबर सेल पुलिस (Cyber Cell Police) ने साइट से उठाया और बिना उचित दस्तावेज जांच के इन्हें बांग्लादेशी (Bangladeshi) बता कर दुर्व्यवहार किया गया।

याचिका में कहा गया है कि आधार कार्ड दिखाने के बावजूद गालियां दी गईं और मारपीट की गई। शाम को सभी को कोंडागांव कोतवाली ले जाया गया और फिर रातों-रात जगदलपुर सेंट्रल जेल (Jagdalpur Central Jail) भेज दिया गया।

सांसद और वकीलों की मदद से रिहाई

13 जुलाई को श्रमिकों के परिजनों ने टीएमसी सांसद महुआ मित्रा (TMC MP Mahua Moitra) से संपर्क किया। इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस (West Bengal Police) ने सभी के भारतीय नागरिक होने की पुष्टि की।

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अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव (Sudip Shrivastava) और रजनी सोरेन (Rajni Soren) ने हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की, लेकिन इससे पहले 14 जुलाई को एसडीएम कोंडागांव (SDM Kondagaon) के आदेश पर सभी श्रमिकों को रिहा कर दिया गया।

मुआवजा और सुरक्षा की मांग

याचिकाकर्ताओं ने एक लाख रुपए प्रति व्यक्ति का मुआवजा और छत्तीसगढ़ में मजदूर के रूप में आने पर सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि उन्हें मजदूरी के लिए आना पड़े, तो उनके साथ इस तरह का बर्ताव न हो।

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