Chhattisgarh High Court on Unrecognized Schools: छत्तीसगढ़ में बिना मान्यता (unrecognized private schools) के संचालित हो रहे स्कूलों पर हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट आदेश दिया है कि नए शैक्षणिक सत्र (new academic session) में इन स्कूलों में छात्रों के प्रवेश (student admission) पर तत्काल प्रभाव से रोक (ban) लगाई जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका (public interest litigation) पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
शपथपत्र में सामने आई स्थिति
लोक शिक्षण विभाग (School Education Department) द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में यह दावा किया गया कि मान्यता केवल पहली कक्षा से ऊपर की कक्षाओं के लिए अनिवार्य है, जबकि नर्सरी से केजी-2 (Nursery to KG-2) तक के लिए नहीं। लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे और मानस वाजपेयी ने तर्क दिया कि 2013 के शासनादेश के तहत सभी कक्षाओं के लिए मान्यता आवश्यक है।
हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव से मांगा व्यक्तिगत जवाब
कोर्ट ने इस पर शिक्षा सचिव (Education Secretary) को फटकार लगाते हुए अगली सुनवाई से पहले व्यक्तिगत शपथपत्र (personal affidavit) देने का निर्देश दिया है। साथ ही यह पूछा है कि अगर नियम 2013 से लागू है, तो आज तक हजारों गैर-मान्यता प्राप्त स्कूल (illegal schools) कैसे चल रहे हैं? इससे छात्रों के भविष्य (student future) के साथ खिलवाड़ और अभिभावकों पर आर्थिक भार दोनों पड़ रहा है।
प्रदेश में हजारों स्कूल बिना मान्यता के संचालित
लोक शिक्षण विभाग द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, राज्य में-
- 72 स्कूल केवल नर्सरी से केजी-2 तक
- 1391 स्कूल नर्सरी से प्राथमिक तक
- 3114 स्कूल नर्सरी से पूर्व माध्यमिक तक
- 2618 स्कूल नर्सरी से उच्चतर माध्यमिक तक संचालित हैं।
इनमें से सैकड़ों स्कूल मान्यता विहीन (unrecognized educational institutions) हैं, जिन पर अब कानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है।
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