Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रविन्द्र अग्रवाल (Justice Ravindra Agrawal) की एकलपीठ ने शिक्षिका सरोज सिंह (Teacher Saroj Singh) के पक्ष में अहम अंतरिम आदेश पारित किया है। यह आदेश राज्य में युक्तियुक्तकरण (Rationalization) के तहत किए जा रहे शिक्षकों के स्थानांतरणों पर पुनर्विचार की दिशा में अहम माना जा रहा है।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनादी शर्मा (Advocate Anadi Sharma) ने कोर्ट में प्रस्तुत किया कि शिक्षिका सरोज सिंह वर्ष 2018 से अपने वर्तमान विद्यालय में अंग्रेज़ी (English) और भूगोल (Geography) दोनों विषय पढ़ा रही हैं।
चूंकि विद्यालय में भूगोल विषय के लिए कोई अन्य शिक्षक उपलब्ध नहीं है, उन्होंने अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाई। इसके बावजूद उन्हें 45 किलोमीटर दूर के स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेश से बहाल की गई एक अन्य शिक्षिका को उसी स्कूल में अंग्रेज़ी विषय पढ़ाने के लिए पदस्थ किया गया है, जहां सरोज सिंह कार्यरत थीं।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की दलील को किया स्वीकार
न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता की वरिष्ठता (Seniority) और विद्यालय में उनके योगदान को नज़रअंदाज़ कर स्थानांतरण करना प्रथम दृष्टया अनुचित प्रतीत होता है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का तबादला न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता (Quality of Education) को प्रभावित करता है, बल्कि शिक्षिका के पारिवारिक दायित्वों पर भी असर डालता है।
दो दिन में अभ्यावेदन देने का आदेश
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वे दो दिवस के भीतर नया अभ्यावेदन (Fresh Representation) विभाग को सौंपें। विभाग उस पर नियमानुसार विचार कर निर्णय लेगा। तब तक के लिए शिक्षिका का तबादला आदेश स्थगित रहेगा।
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से शिक्षकों में असंतोष है। ऐसे में यह आदेश उन शिक्षकों के लिए राहतभरी मिसाल बन सकता है, जिनका तबादला बिना उचित तर्क के किया गया हो।
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