Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस डिवीजन बेंच ने एक अहम फैसले में पुलिस विभाग की रिट अपील को खारिज कर दिया है। यह मामला महासमुंद (Mahasamund) जिले का है, जहां गणतंत्र दिवस (Republic Day) ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में तीन पुलिसकर्मियों अलेकसियूस मिंज (Alexious Minj), दीपक विदानी (Deepak Vidani) और नरेन्द्र यादव (Narendra Yadav) को बर्खास्त किया गया था।
हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को निरस्त कर तीनों को सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था। आदेश के बाद अलेकसियूस मिंज और दीपक विदानी को तत्काल ज्वाइनिंग दी गई, लेकिन नरेन्द्र यादव को ज्वाइनिंग न देकर विभागीय जांच फिर से शुरू कर दी गई।
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समान आरोप पर अलग व्यवहार से कोर्ट नाराज
याचिकाकर्ता नरेन्द्र यादव ने इस भेदभाव के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। उनके वकीलों अभिषेक पाण्डेय (Advocate Abhishek Pandey) और वर्षा शर्मा (Varsha Sharma) ने तर्क दिया कि जब तीनों पुलिसकर्मी एक जैसे आरोपों में बर्खास्त हुए थे और हाईकोर्ट ने एक समान आदेश दिया था, तो केवल एक कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच करना पूर्वाग्रह और दुर्भावना का परिचायक है।
कोर्ट ने भी माना कि पुलिस विभाग ने नरेन्द्र यादव के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया और समानता के अधिकार का उल्लंघन किया है।
पुलिस विभाग की रिट अपील खारिज
चीफ जस्टिस डिवीजन बेंच ने पुलिस विभाग की रिट अपील को खारिज करते हुए कहा कि जब अन्य दो पुलिसकर्मियों को बहाल कर ज्वाइनिंग दी जा चुकी है और उनके खिलाफ विभागीय जांच नहीं की जा रही, तो नरेन्द्र यादव को भी समान अवसर मिलना चाहिए। इस आधार पर विभागीय जांच पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।
हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल नरेन्द्र यादव के लिए राहतभरा है, बल्कि पूरे पुलिस विभाग के लिए भी एक बड़ा सबक है। अदालत ने साफ कर दिया कि समान परिस्थिति में किसी के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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