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बिलासपुर हाईकोर्ट ने जर्जर सड़कों पर जताई नाराजगी: शपथपत्र नहीं देने पर शासन पर लगाया जुर्माना, दिसंबर में फिर सुनवाई

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने जर्जर सड़कों पर जताई नाराजगी, शपथपत्र नहीं देने पर शासन पर लगाया जुर्माना, दिसंबर में फिर सुनवाई

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सड़कों की खराब हालत को लेकर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य शासन पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि लगातार निर्देशों के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। शासन की ओर से समय पर शपथपत्र (Affidavit) प्रस्तुत नहीं किए जाने पर न्यायालय ने एक हजार रुपए का जुर्माना (Fine) लगाया है और मामले की अगली सुनवाई दिसंबर (December) के पहले सप्ताह में रखने का निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट, कहा- बताओ कितना काम हुआ

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) की डिवीजन बेंच (Division Bench) ने कहा कि शासन को यह बताना होगा कि सड़कों पर काम कहां तक पहुंचा है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि हर सड़क की प्रगति रिपोर्ट (Progress Report) विस्तृत और पारदर्शी होनी चाहिए।

शासन की ओर से बताया गया कि रतनपुर-सेंदरी रोड (Ratanpur-Sendri Road) का काम लगभग पूरा हो चुका है और रायपुर रोड (Raipur Road) 70 प्रतिशत तैयार है, जिसे 15 दिनों में पूरा करने का दावा किया गया है। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक जानकारी नहीं, बल्कि शपथपत्र आवश्यक है।

फुट ओवरब्रिज पर भी चर्चा, लागत में आई कमी

लोक निर्माण विभाग (PWD) ने कोर्ट को बताया कि तुर्काडीह, सेंदरी, रानीगांव, मेलनाडीह और बेलतरा (Turkadeeh, Sendri, Ranigaon, Melanadih, Beltara) में पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए फुट ओवरब्रिज (Foot Overbridge) बनाए जा रहे हैं। पहले इनकी अनुमानित लागत 17.95 करोड़ रुपए थी, जो अब घटकर 11.38 करोड़ रह गई है। टेंडर प्रक्रिया (Tender Process) पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

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बिलासपुर-रायपुर हाईवे की दुर्दशा पर कोर्ट सख्त

बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे (Bilaspur-Raipur National Highway NH-90) की हालत पर कोर्ट ने कहा कि यह सड़क जनता की परेशानी का कारण बन चुकी है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर इसे दुरुस्त करने में इतनी देरी क्यों हो रही है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि लोक निर्माण विभाग का मौन रहना चिंताजनक है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि बार-बार दिए जा रहे शपथपत्रों से स्थिति नहीं सुधर रही है। रतनपुर-केंदा रोड (Ratanpur-Kenda Road) की बदहाली पर कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी सचिव से शपथपत्र पेश करने को कहा। वहीं, रायपुर-बिलासपुर मुख्य मार्ग (Raipur-Bilaspur Main Road) पर पावर प्लांटों की राख (Ash Pollution) फैलने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव (Chief Secretary) से जवाब मांगा है।

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