Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 7 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के तीन वरिष्ठ और प्रतिष्ठित अधिवक्ताओं को “सीनियर एडवोकेट” (Senior Advocate) की उपाधि प्रदान की है।
यह सम्मान उन अधिवक्ताओं को दिया गया है जिन्होंने अपने लंबे विधिक करियर में न केवल उत्कृष्ट सेवाएं दीं, बल्कि न्यायिक क्षेत्र में भी विशेष योगदान दिया।
अधिनियम और नियमों के तहत हुआ नामांकन
यह नामांकन एडवोकेट्स एक्ट, 1961 (Advocates Act, 1961) की धारा 16 तथा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (सीनियर एडवोकेट्स का नामांकन) नियम, 2018 (Chhattisgarh High Court Senior Advocates Rules, 2018) के अंतर्गत किया गया है।
चयन प्रक्रिया भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) द्वारा वर्ष 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (Indira Jaising vs Supreme Court of India) मामले में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार की गई।
ये हैं नए सीनियर एडवोकेट्स
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अशोक कुमार वर्मा (Ashok Kumar Verma)
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मनोज विश्वनाथ परांजपे (Manoj Vishwanath Paranjpe)
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सुनील ओटवानी (Sunil Otwani)
इन वकीलों को दीर्घकालिक सेवा, पेशेवर नैतिकता और विधि के प्रति समर्पण को मान्यता देते हुए यह दर्जा दिया गया है।
सीनियर एडवोकेट का महत्व
भारतीय न्यायिक प्रणाली (Indian Judicial System) में सीनियर एडवोकेट की उपाधि बहुत ही विशिष्ट मानी जाती है। यह केवल एक पेशेवर उपलब्धि नहीं बल्कि एक सामाजिक और न्यायिक जिम्मेदारी भी है। सीनियर एडवोकेट को विशेषाधिकार मिलते हैं, जैसे कोर्ट में विशेष पहनावा और पेशी के दौरान जूनियर वकीलों की सहायता लेने का अधिकार।
रजिस्ट्रार जनरल ने जारी की अधिसूचना
इस निर्णय को विधिवत रूप से अधिसूचित किया गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर (Registrar General Manish Kumar Thakur) ने अधिसूचना जारी कर इसकी पुष्टि की है। न्यायिक जगत में यह एक सम्मानजनक अवसर है जो राज्य के विधिक समुदाय को प्रेरित करेगा।