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गांव में पादरी और पास्टर के प्रवेश पर रोक वाला होर्डिंग केस: हाईकोर्ट ने दी सलाह, कहा- पहले ग्राम सभा या SDM के पास जाएं

Bilaspur High Court: गांव में पादरी और पास्टर के प्रवेश पर रोक वाला होर्डिंग केस, हाईकोर्ट ने दी सलाह, कहा- पहले ग्राम सभा या SDM के पास जाएं

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: कांकेर (Kanker) जिले के भानुप्रतापपुर (Bhanupratappur) ब्लॉक के ग्राम घोटिया (Ghotia) समेत आसपास के कई गांवों में हाल ही में कुछ स्थानीय निवासियों ने गांव के प्रवेश द्वारों पर होर्डिंग (Hoarding) लगाकर पादरी और पास्टर के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इन बोर्डों पर लिखा था कि “गांव में ईसाई धर्म (Christian Religion) के पादरी, पास्टर या धर्मांतरण (Conversion) के उद्देश्य से आने वाले लोगों का प्रवेश वर्जित है।” इस आदेशनुमा संदेश के खिलाफ ईसाई संगठनों ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी।

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कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि यह प्रतिबंध असंवैधानिक है और संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि गांवों में लगाए गए ऐसे बोर्ड सामाजिक विभाजन (Social Division) को बढ़ावा देते हैं और एक विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव की भावना फैलाते हैं।

शासन का पक्ष और कोर्ट का फैसला

राज्य शासन (State Government) की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बिना निचले स्तर पर शिकायत किए सीधे हाईकोर्ट आ गए हैं, जबकि उन्हें पहले ग्राम सभा या एसडीएम (SDM) के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज करनी चाहिए थी। शासन का यह भी कहना था कि ग्राम पंचायत स्तर पर ही इस तरह की शिकायतों का निपटारा किया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने शासन के तर्क से सहमति जताते हुए कहा कि फिलहाल यह मामला निचले स्तर पर सुलझाया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर याचिकाकर्ता चाहें तो पहले ग्राम सभा या एसडीएम के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करें। इसी के साथ कोर्ट ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया।

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गांवों में तनाव की स्थिति, पर शांति कायम

ग्राम घोटिया और आसपास के इलाकों में इस विवाद के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि प्रशासन ने किसी भी प्रकार की हिंसा या अशांति से इनकार किया है। स्थानीय पुलिस (Police) ने कहा कि शांति व्यवस्था (Law and Order) बनाए रखने के लिए गांवों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। वहीं, ईसाई संगठनों ने कहा है कि वे अब प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत अपनी शिकायत आगे बढ़ाएंगे।

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