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CG Bilaspur High Court
Chhattisgarh NAN Scam: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने शुक्रवार को नान घोटाले (NAN Scam) से जुड़ी उन सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें जांच को सीबीआई (CBI) को सौंपने की मांग की गई थी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अब इस मामले में जिन व्यक्तियों को एसीबी (ACB) ने अभियुक्त नहीं बनाया है, उनके खिलाफ विचारण न्यायालय में आवेदन देकर कार्रवाई की जा सकती है।
कोर्ट में हुई सुनवाई और फैसले की अहम बातें
यह मामला हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस पीपी साहू की विशेष खंडपीठ के समक्ष सुना गया। सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिवक्ता अतुल झा उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस केस में अब तक 224 में से 170 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं और ट्रायल अपने अंतिम चरण में है।
खंडपीठ ने इस दौरान अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और ‘हमर संगवारी’ एनजीओ (NGO) की याचिकाओं पर भी चर्चा की, जिनमें आरोप लगाया गया था कि एसीबी ने कई प्रभावशाली लोगों को छोड़ दिया है, जिनकी इस घोटाले में सीधी भूमिका थी। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि अब जांच एजेंसी बदलना तर्कसंगत नहीं है।
धरमलाल कौशिक ने एसआईटी जांच के खिलाफ याचिका वापस ली
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा नेता धरमलाल कौशिक (Dharamlal Kaushik) ने नान घोटाले की एसआईटी (SIT) जांच को चुनौती दी थी। लेकिन आज की सुनवाई में उन्होंने अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सभी जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि अब आगे की कार्रवाई केवल विचारण न्यायालय के स्तर पर होगी।
क्या है नान घोटाला?
नान घोटाला (NAN Scam) छत्तीसगढ़ की पीडीएस (PDS) प्रणाली से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला है। नागरिक आपूर्ति निगम (Nagrik Aapurti Nigam) पर आरोप है कि उसने राज्य के गरीबों के लिए तय राशन, चावल, चना, नमक जैसी वस्तुओं की खरीद और वितरण में करोड़ों रुपये का घोटाला किया।
चार्जशीट के अनुसार, नान के 27 जिला प्रबंधकों समेत कई वरिष्ठ अधिकारी इस रैकेट में शामिल थे। 2015 में एसीबी (ACB) और ईओडब्ल्यू (EOW) ने छापे मारे थे, लेकिन कई प्रभावशाली व्यक्तियों को अभियुक्त नहीं बनाया गया। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट से खुला रास्ता
करीब चार साल तक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबित रहने के कारण इस केस पर रोक थी। लेकिन सितंबर 2025 में रोक हटने के बाद हाईकोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई पूरी की और साफ कर दिया कि जांच सीबीआई को नहीं दी जाएगी।
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