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Chhattisgarh High Court: हाईकोर्ट ने सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल की अव्यवस्था पर जताई कड़ी नाराजगी, मांगी विस्तृत रिपोर्ट

Chhattisgarh High Court: हाईकोर्ट ने सेंदरी मेंटल हॉस्पिटल की अव्यवस्था पर जताई कड़ी नाराजगी, मांगी विस्तृत रिपोर्ट

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सेंदरी (Sendri) में स्थित प्रदेश के एकमात्र मेंटल हॉस्पिटल (Mental Hospital) की बदहाल हालत पर मंगलवार को हाईकोर्ट (High Court) ने सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान कमिश्नर रिपोर्ट पेश हुई, जिसमें अस्पताल की गंभीर कमियों का खुलासा हुआ।

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रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर समय से देर से आते हैं और निर्धारित समय से पहले चले जाते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक अस्पताल में रहना चाहिए।

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डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही

कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट (Advocate) हिमांशु पांडे (Himanshu Pandey) और एडवोकेट ऋषि राहुल सोनी (Rishi Rahul Soni) की संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया कि डॉक्टर और स्टाफ रोजाना मात्र एक से डेढ़ घंटे ही अस्पताल में रहते हैं।

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इस लापरवाही का सीधा असर मानसिक रूप से बीमार मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें लगातार निगरानी और उपचार की जरूरत होती है।

खराब हाइजीन और सुविधाओं का अभाव

निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अस्पताल में हाइजीन (Hygiene) की स्थिति बेहद खराब है। वार्ड और टॉयलेट की सफाई ठीक से नहीं होती, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

वहीं, अस्पताल में अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) और अन्य जरूरी जांच सुविधाओं (Medical Test Facilities) का भी अभाव है। इसकी वजह से मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे परिजनों और स्टाफ दोनों को परेशानी होती है।

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हाईकोर्ट ने दिए कड़े निर्देश

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि निगरानी के बावजूद सुधार न होना गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने शासन को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई से पहले पूरे अस्पताल का पुनः निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। साथ ही, डॉक्टरों और स्टाफ की उपस्थिति की निगरानी के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश भी दिए गए।

मरीजों पर असर

इन अव्यवस्थाओं का सबसे ज्यादा असर मानसिक रोगियों पर पड़ रहा है। समय पर इलाज और देखभाल न मिलने से उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़े अस्पतालों में 24 घंटे बेहतर सुविधाएं और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध रहना चाहिए।

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