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राम भरोसे CG की स्वास्थ्य व्यवस्था: मरीजों को CT स्कैन के लिए करना पड़ रहा है 15 दिन का इंतजार! 84 करोड़ का फंड मौजूद

CG Govt Hospital Facility: छग में मरीजों को सीटी स्कैन के लिए 15-15 दिनों का इंतजार करना पड़ा रहा है और गंभीर मरीजों को 2 दिन वेट कर रहे है।

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aman sharma
राम भरोसे CG की स्वास्थ्य व्यवस्था: मरीजों को CT स्कैन के लिए करना पड़ रहा है 15 दिन का इंतजार! 84 करोड़ का फंड मौजूद

CG Govt Hospital Facility: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अम्बेडकर अस्पताल (CG Govt Hospital Facility) में मरीजो को सीटी स्कैन के लिए करीब 15-15 दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है। जबकि इमरजेंसी में भी मरीजों को 2-2 दिनों का इंतजार करना पड़ा रहा है।

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इसका कारण ये हैं कि अस्पताल (CG Govt Hospital Facility) में सिर्फ एक ही सीटी स्कैन की मशीन है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग को करीब आठ साल पहले यानी 2015-16 में नई सीटी स्कैन मशीन खरीदने के लिए 12 करोड़ (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस) CGMSC को दे चुका है।

मगर अभी भी हालात जस के तस बने हुए हैं। मरीजों को परेशानी होने के बावजूद अभी तक मशीन नहीं खरीदी गई है। हैरानी की बात ये हैं कि अस्पताल में ऐसी एक या दो नहीं बल्कि दर्जन से ज्यादा मशीनें हैं, जिसके लिए पहले ही 84 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

उन मशीनों की खरीदी भी नहीं की गई हैं। इस लापरवाही के कारण रोजाना सिर्फ अंबेडकर अस्पताल में 300 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है।

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बता दें कि स्वास्थ विभाग के फंड जारी करने के बावजूद अधिकारियों ने मशीनों को खरीदने के लिए टेंडर ही नहीं निकाला है। अस्पताल में दिल, कैंसर और अलग-अलग तरह के ऑपरेशन इस्तेमाल होने वाली मशीनें हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वास्थ विभाग ने फंड को एक दो या फिर तीन साल पहले जारी नहीं किया था बल्कि इसको पांच साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। ये स्थिति सिर्फ राजधानी रायपुर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल की नहीं है। राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है।

मैंने कुछ महीने पहले ज्वाइन किया है

इस लापरवाही को लेकर सीजीएमएससी एमडी पद्मनी भोई का कहना है कि मैंने कुछ महीनों पहले ही यहां पर ज्वाइन किया है। मशीनें खरीदने में देरी नहीं होगी चाहिए। अब मशीन नहीं खरीद सकते हैं क्योंकि कीमतें अब पहले से बढ़ गईं हैं। हॉस्पिटल्स और कॉलेजों को पैसे लौटाए जाएंगे।

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किस मशीन की क्यों जरूरत और कब मिले पैसे

सीटी स्कैन: अम्बेडकर अस्पताल में बढ़ती मरीजों की संख्या से सीटी स्कैन करवाने वाले मरीजों को 15-15 दिनों का समय देना पड़ रहा है। इससे मरीजों के इलाज भी प्रभावित होता है। बता दें कि 2015-16 में एक और मशीन को खरीदने के लिए लगभग 12 करोड़ रुपए जारी किए गए थे ताकि मरीजों के इलाज में बिल्कुल भी देरी न हो। मगर मशीन अस्पताल में लाना तो दूर की बात है, लेकिन अभी इसको खरीदी तक नहीं गई है।

सीटी ​सिम्युलेटर: अम्बेडकर हॉस्पिटल के ही कैंसर रीजनल सेंटर के लिए सीटी सिम्युलेटर मशीन खरीदने के लिए करीब तीन साल पहले 7 करोड़ रुपए CGMSC को दिए गए थे, लेकिन अभी तक इस मशीन का भी टेंडर भी फाइनल नहीं किया गया है।

हैरानी की बात यह है कि कैंसर जैसी घातक बीमारी के लिए भी अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरता रहा है। कैंसर की बीमारी के लिए ये मशीन बेहद उपयोगी है। इस मशीन की मदद से ये देखा जाता है कि मरीज को किस हिस्से में रेडिएशन देना जरूरी है और कहां नहीं।

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सोनोग्राफी: मशीनें खरीदने के लिए करीब 2 साल पहले एक करोड़ 80 लाख रुपए दिए गए थे, लेकिन अभी तक नई मशीनों को खरीदा नहीं गया है। साथ ही मरीजों को सोनोग्राफी के लिए करीब एक-एक सप्ताह का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, इमरजेंसी केस में उसी दिन जांच की जा सकती है। खास बात यह है कि मशीनें पुरानी होने की वजह से बार-बार बिगड़ जाती है।

ईको मशीन: हार्ट के मरीजों की जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ईको मशीन को खरीदने के लिए करीब 1 करोड़ 25 लाख रुपए तीन साल पहले स्वीकृत हो चुके हैं और उसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने ये पैसे CGMSC को दे दिए हैं, लेकिन इस मशीन को भी नहीं खरीदा गया है।

ब्रेकीथैरेपी: कैंसर के मरीजों की जांच के लिए उरयोग की जाने वाली ब्रेकीथैरेपी मशीन को भी अभी तक नहीं खरीदा गया है। करीब दो साल पहले इसके लिए 9 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, लेकिन मशीन का टेंडर ही नहीं हुआ है। बता दें कि इस मशीन का उपयोग मरीज के अंदरुनी हिस्से में ही सिंकाई कर कैंसर के मर्ज को ठीक किया जा सकता है। मगर अभी तक इसको खरीदा तक नहीं गया है।

ऑपरेशन थियेटर का वेंटिलेटर भी हुआ खराब

हैरानी की बात यह है कि अम्बेडकर हॉस्पिटल में ऑपरेशन थियेटर का एक मात्र वर्क स्टेशन भी पूरी तरह से खराब हो चुका है। अम्बेडकर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स पुराने मेनुअल सिस्टम से हाथ के गुब्बारे के सहारे मरीजों को ऑक्सीजन देने का कार्य कर रहे हैं। इस वर्क स्टेशन के लिए करीब तीन साल पहले पचास लाख रुपए जारी किए गए थे।

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