Chhattisgarh Gold Mining: छत्तीसगढ़ खनिजों से संपन्न राज्य है. प्रदेश में कोयला, बाक्साइट, डोलोमाइट, चूनापत्थर और लौह अयस्क का उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि यहां सोना भी मिलता है. जी हां छत्तीसगढ़ में एक ऐसी नदी है जो सोना उगलती है. नदी के किनारे बसे गांव के लोग नदी से सोना निकाल कर उसे बेचते हैं और इसी से उनका परिवार भी चलता है.
सैकड़ों सालों से सोना उगल रही नदी
दरअसल, प्रदेश के कांकेर जिले में कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कोटरी संगम घाट पर नदी से सोना मिलता है. यहां नदी से आज भी ग्रामीण सोना निकालते हैं. इस नदी से ग्रामीण आज भी सोना निकालते हैं. अबी तक रेत में सोने के कण मिलने का सही कारण पता नहीं चल पाया है.
राज्य की ये नदी सैकड़ों सालों से सोना उगल रही है. आज तक नदी की रेत से सोना निकाला जा रहा है. आसपास रहने वाले नदी की रेत से सोना निकालते हैं और इससे कई परिवारों का घर चलता है.
बरसात बाद नदी में बहता है सोना
कोयलीबेड़ा ब्लॉक के गांव वाले बारिश में खेती करते हैं और बरसात खत्म होने के बाद नदी से सोना निकालने में जुट जाते हैं. केजीएफ KGF फिल्म के आने के बाद से तो गांव बहुत चर्चित हो गया है.
भूगर्भशास्त्री और वैज्ञानिकों का कहना है कि नदी कई चट्टानों से होकर गुजरती है. यही वजह है कि घर्षण की वजह से सोने के कण घुल कर नदी में मिल जाते हैं और ग्रामीण छानकर सोना निकालने लगते हैं.
सोंनझरिया परिवार सालों से निकाल रहा सोना
बताया जाता है कि कोटरी गांव के संगम घाट पर ग्रामीण सैकड़ों सालों से सोना निकालने का काम रहे हैं. ग्रामीण नदी से निकाले जाने वाली मिट्टी को डोंगीनुमा लकड़ी के बर्तन में धोते हैं.
इसके बाद बचे हुए बारीक कण को इकट्ठा कर लिया जाता है. कण के अधिक मात्रा में जमा होने पर उसे हिलाया जाता है और फिर कण को पिघलाकर सोने का रूप दे दिया जाता है. जिसे क्वारी सोना कहा जाता है.
हाई क्वालिटी का होता है नदी से निकलने वाला सोना
आपको बता दें कि क्वारी सोना को शुद्ध सोना माना जाता है. इस परिवार के लोग सोना निकासी का काम कई पीढ़ियों से कर रहे हैं. सोनझरिया परिवार आज भी पुश्तैनी व्यवसाय सोना निकालने में जुटा है.
पारिवारिक सदस्य पतकसा, कोंडे, बड़गांव, खंडी नदी, कोटरी नदी, रावघाट, घमरे नदी, बड़े डोंगर के अलावा महाराष्ट्र की कुछ नदियों में जाकर भी सोने निकालने का काम करते हैं.
सोने को औने पौने दाम पर बेच देता है परिवार
बताया गया कि सोना निकालने के काम में जो परिवार जुटा हुआ है उसको जेवरात बनाने की जानकारी ही नहीं है. नदी से निकलने वाला सोना हाई क्वालिटी का होता है, लेकिन परिवार सोने को औने पौने दाम पर बेच देता है.
ग्रामीण रवि मंडावी और रितेश नाग ने मीडिया से बताया कि सोनझरिया परिवार कभी सोना बेचकर पैसे इकट्ठा नहीं कर पाए. सोना बेचने के बाद आए पैसे से परिवार की रोजी रोटी और कपड़े पर खर्च किया जाता है.
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