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छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स संविधान संशोधन पर बढ़ा विवाद: कोर्ट पहुंचे उत्तम गोलछा, अब हाईकोर्ट में शुरू होगी सुनवाई

Chhattisgarh Chamber of Commerce: छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स संविधान संशोधन पर बढ़ा विवाद, कोर्ट पहुंचे उत्तम गोलछा, अब हाईकोर्ट में शुरू होगी सुनवाई

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Chhattisgarh Chamber of Commerce: छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स (Chhattisgarh Chamber of Commerce) इन दिनों आंतरिक विवादों के कारण सुर्खियों में है। मामला संविधान संशोधन (Constitution Amendment) का है, जिस पर अब कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। हाईकोर्ट (High Court) ने उत्तम गोलछा की याचिका स्वीकार कर ली है और जल्द ही इस पर सुनवाई शुरू होगी।

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चुनाव से पहले उठा था विवाद

यह विवाद पिछले चुनाव के दौरान सामने आया था। श्रीचंद सुंदरानी ने पूर्व अध्यक्ष अमर पारवानी (Amar Parwani) और उनकी टीम पर आरोप लगाया कि उन्होंने संविधान संशोधन गलत तरीके से किया। सुंदरानी गुट ने इसे अवैध बताते हुए पंजीयक फर्म एंड सोसायटी (Registrar Firms and Societies) में अपील दायर की। सोसायटी ने पारवानी गुट का संशोधन निरस्त कर दिया था। इसके बाद हुए चुनाव में सतीश थौरानी (Satish Thaurani) निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। वहीं, अमर पारवानी को चुनाव लड़ने से अपात्र करार दे दिया गया था।

कोर्ट पहुंचे उत्तम गोलछा

सोसायटी के फैसले से नाराज पारवानी गुट के पूर्व कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा (Uttam Golcha) ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनका कहना है कि संशोधन पूरी तरह वैध था, लेकिन इसे जानबूझकर निरस्त किया गया। अब कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और नोटिस भी जारी कर दिया है। गोलछा ने कहा कि उनकी ओर से श्रीचंद सुंदरानी, वासु ज्योतसिंघानी और अन्य लोगों को पार्टी बनाया गया है।

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सतीश थौरानी का पलटवार

वर्तमान अध्यक्ष सतीश थौरानी (Satish Thaurani) ने कहा कि अमर पारवानी और उनकी टीम ने नियमों के खिलाफ जाकर संशोधन किया था। हमने अपील में चुनौती दी और फैसला हमारे पक्ष में आया। उन्होंने कहा कि चेंबर को कोई राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनने देंगे। चेंबर का काम व्यापारियों की मदद करना और छोटे व्यापारियों को न्याय दिलाना है।

अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट पर

अब यह मामला पूरी तरह से हाईकोर्ट के हाथों में है। सुनवाई शुरू होते ही तय होगा कि चेंबर का संविधान संशोधन वैध था या नहीं। इस बीच, व्यापारी वर्ग में भी इस विवाद को लेकर चर्चा तेज है। सभी की नजरें अदालत के फैसले पर टिकी हुई हैं।

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