CG Tehsildar Strike: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने 17 सूत्रीय मांगों (17 point demands by tehsildars) को लेकर सोमवार से राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत कर दी है। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” (No Work Without Resources) के नारे के साथ राजस्व अधिकारी तूता स्थित धरना स्थल पर डटे हैं। यह प्रदर्शन आगामी 30 जुलाई 2025 तक चलेगा, जिसमें हर जिले के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी भागीदारी दर्ज करा रहे हैं।
बालोद समेत कई जिलों में कामकाज ठप
बालोद जिले (Balod district) से लेकर पूरे राज्य में हड़ताल का असर साफ दिखने लगा है। राजस्व विभाग (Revenue Department Services Halted) से जुड़ी तमाम आवश्यक सेवाएं जैसे जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate), निवास प्रमाण पत्र (Domicile Certificate), आय प्रमाण पत्र (Income Certificate), भूमि सीमांकन (Land Demarcation) और अन्य जरूरी कार्य ठप हो गए हैं। इससे सीधे तौर पर स्कूली छात्रों, कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले लोगों पर असर पड़ रहा है।
अधिकारी बोले, “काम करना नामुमकिन”
राजस्व अधिकारियों का कहना है कि वे संवेदनशील और जिम्मेदारी भरी भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके पास न तो पर्याप्त स्टाफ है, न ही तकनीकी संसाधन। तहसीलों में कंप्यूटर ऑपरेटर, पटवारी, राजस्व निरीक्षक, वाहन चालक और भृत्य जैसे आवश्यक पद खाली हैं, जिससे कामकाज बुरी तरह प्रभावित होता है। आंदोलनकारियों ने मांग की है कि जब तक सभी पदों पर नियुक्ति (Vacancy Fulfillment Demand in Tehsils) नहीं हो जाती, लोक सेवा गारंटी (Public Service Guarantee) की समयसीमा से राहत दी जाए।
नायब तहसीलदारों को मिले राजपत्रित अधिकारी का दर्जा
संघ का कहना है कि सरकार ने पूर्व में नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी (Gazetted Officer Status to Nayab Tehsildar) घोषित करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है। साथ ही तहसीलदारों के ग्रेड पे संशोधन (Grade Pay Revision) की प्रक्रिया वर्षों से लंबित है, जिससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है।
“सिर्फ वादे, हकीकत कुछ और”
संघ की प्रमुख मांगों में शामिल है – तहसीलदारों को शीघ्र डिप्टी कलेक्टर पद (Promotion to Deputy Collector) पर पदोन्नति और 50:50 अनुपात में सीधी भर्ती। साथ ही तहसीलों में सरकारी वाहन (Official Vehicle for Tehsils) या समुचित वाहन भत्ता (Vehicle Allowance) की व्यवस्था की मांग भी वर्षों से अनसुनी रही है। अधिकारी यह भी चाहते हैं कि न्यायालयीन मामलों में उनके खिलाफ FIR दर्ज न हो (FIR Protection for Tehsildars) और उन्हें Judicial Protection Act के तहत सुरक्षा मिले।
सरकार को चेतावनी, “अगर मांगे नहीं मानी गईं तो प्रशासन ठप हो जाएगा”
राजस्व अधिकारी संघ (Chhattisgarh Revenue Officers Association) ने राज्य सरकार को साफ चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आंदोलन और व्यापक हो सकता है। पहले चरण के अंतर्गत 30 जुलाई तक धरना जारी रहेगा, इसके बाद आंदोलन उग्र हो सकता है। संघ ने संवाद के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है, लेकिन साथ ही कहा है कि “अब वादों से नहीं, निर्णयों से फर्क पड़ेगा” (No More Promises, We Need Action)।
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FAQs
Q1: तहसीलदारों की हड़ताल कब तक चलेगी?
उत्तर: छत्तीसगढ़ में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल 30 जुलाई 2025 तक चरणबद्ध रूप से चलेगी। यदि सरकार ने मांगे नहीं मानीं तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
Q2: तहसीलदार हड़ताल से आम जनता पर क्या असर पड़ा है?
उत्तर: हड़ताल के चलते जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, भूमि सीमांकन जैसे सभी राजस्व कार्य ठप हो गए हैं। इससे छात्र, किसान और योजनाओं के लाभार्थी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
Q3: तहसीलदारों की प्रमुख मांगें क्या हैं?
उत्तर: प्रमुख मांगों में संसाधनों की पूर्ति, नायब तहसीलदार को राजपत्रित दर्जा, ग्रेड पे संशोधन, डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति, सरकारी वाहन सुविधा, और न्यायिक संरक्षण शामिल हैं।
Q4: अगर सरकार मांगे नहीं मानेगी तो आगे क्या होगा?
उत्तर: छत्तीसगढ़ राजस्व अधिकारी संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो राज्यव्यापी प्रशासनिक कामकाज ठप हो सकता है और आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
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