CG Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीति में उस समय हलचल मच गई, जब मुख्यमंत्री साय (CM Sai) ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 14 मंत्रियों को शामिल किया। जहां सत्ता पक्ष इसे संतुलन और विकास के लिए सही ठहरा रहा है, वहीं विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कहा कि 2003 में बने कानून के अनुसार विधानसभा सदस्यों की संख्या का केवल 15% ही मंत्री बनाया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा (Chhattisgarh Assembly) में 90 विधायक हैं, ऐसे में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 13.5 बनती है। यानी मुख्यमंत्री समेत केवल 13 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं। लेकिन वर्तमान सरकार ने 14 मंत्री नियुक्त कर दिए हैं, जो नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
इतनी बड़ी मंत्रिपरिषद बनाने की अनुमति कब मिली: भूपेश
बघेल ने कहा कि 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, तो उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मंत्रियों की संख्या 20% करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि छत्तीसगढ़ भौगोलिक रूप से बड़ा राज्य है और यहां विधानसभा परिषद (Legislative Council) नहीं है। हालांकि उस समय केंद्र से कोई अनुमति नहीं मिली। ऐसे में अब सवाल उठता है कि साय सरकार को इतनी बड़ी मंत्रिपरिषद बनाने की अनुमति कब और कैसे मिली।
हरियाणा का उदाहरण और छत्तीसगढ़ की स्थिति
साय सरकार की ओर से दलील दी गई है कि हरियाणा (Haryana) में भी 90 विधायक हैं और वहां बीजेपी सरकार (BJP Government) में मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं। इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी 14 मंत्रियों को शामिल किया गया है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक केवल 13 मंत्री ही बनाए जाते रहे थे। लेकिन इस बार विधानसभा में 90 विधायकों की संख्या को देखते हुए ‘13.5’ की गिनती को पूर्णांक में बदलकर 14 मंत्री बनाए गए हैं।
नए मंत्रियों का विभाग
राज्यपाल रमेन डेका (Governor Ramen Deka) ने राजभवन (Raj Bhavan) में सुबह 10:30 बजे तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई। इनमें गजेन्द्र यादव (Gajendra Yadav), राजेश अग्रवाल (Rajesh Agrawal) और गुरु खुशवंत साहेब (Guru Khushwant Saheb) शामिल हैं।
- गजेन्द्र यादव को स्कूल शिक्षा, ग्रामोद्योग और विधि-विधायी कार्य विभाग मिला।
- गुरु खुशवंत साहेब को कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा और अनुसूचित जाति विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- राजेश अग्रवाल को पर्यटन, संस्कृति और धर्मस्व विभाग दिया गया।
राजनीति में गरमाहट
इस पूरे मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। विपक्ष का कहना है कि अगर केंद्र से अनुमति नहीं मिली तो यह नियुक्ति अवैधानिक है। वहीं, सत्ता पक्ष का मानना है कि यह निर्णय हरियाणा के उदाहरण के मुताबिक पूरी तरह सही है। आने वाले दिनों में इस पर कानूनी और राजनीतिक टकराव और तेज हो सकता है।
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