रायपुर। छत्तीसगढ़ में मंगलवार से तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव’ और ‘राज्योत्सव 2022’ का आयोजन किया जाएगा। समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। वहीं राज्य के 42 जनजातीय समुदायों का संगठन छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (सीएसएएस) ने कांग्रेस सरकार पर जनजातीयों के आरक्षण अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
सांइस कॉलेज मैदान में होगा आयोजन
राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक से तीन नवंबर तक राजधानी रायपुर के सांइस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव का आयोजन होगा। अधिकारियों ने बताया कि उद्घाटन कार्यक्रम एक नवंबर को सुबह 11 बजे आयोजित किया जाएगा। उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्य अतिथि होंगे तथा विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसी दिन शाम सात बजे से राज्य अलंकरण समारोह का आयोजन होगा, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसूईया उइके होंगी तथा अध्यक्षता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे।
1500 जनजातीय कलाकार शामिल होंगे
उन्होंने बताया कि राज्योत्सव का समापन तीन नवंबर को शाम सात बजे होगा जिसमें मुख्य अतिथि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रहेंगे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव में भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों समेत नौ देशों मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड और इजिप्ट के 1500 जनजातीय कलाकार शामिल होंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विदेशों से जनजातीय कलाकारों का दल रायपुर पहुंच रहा है। मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था।
बहिष्कार करने की घोषणा
इधर, राज्य के छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (सीएसएएस) ने राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने की घोषणा की है। सीएसएएस के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा कि पिछले महीने से जनजातीय समुदाय के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ बंद किए जाने के बाद राज्यभर के जनजातीयों में गुस्सा है। इसलिए जनजातीय नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने का फैसला किया गया है। रावटे ने बताया कि एक से तीन नवंबर तक जिलों में राज्योत्सव और जनजातीय नृत्य समारोह का विरोध किया जाएगा। वहीं विधायक, सांसद, मंत्री के निवास के सामने उन्हें जगाने के लिए नगाड़ा बजाया जाएगा।
2012 में जारी आदेश को खारिज कर दिया था
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य सरकार के वर्ष 2012 में जारी उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था। न्यायालय ने कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है। इस फैसले के बाद जनजातीय समुदायों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है।
मुख्यमंत्री केवल आश्वासन दे रहे
रावटे ने कहा, ”इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश को एक महीने से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील नहीं की है। मुख्यमंत्री केवल आश्वासन दे रहे हैं।” उन्होंने कहा कि सर्व जनजातीय समाज ने राज्य में आदिवासियों के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण लाभ बहाल करने की मांग को लेकर राज्य में 15 नवंबर को आर्थिक नाकेबंदी का भी आह्वान किया है।