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छत्तीसगढ़ BJP युवा मोर्चा अध्यक्ष का विवादित बयान: विश्व आदिवासी दिवस को लेकर कहा- यह ईसाइयों और वामपंथियों का षड्यंत्र

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ BJP युवा मोर्चा अध्यक्ष का विवादित बयान, विश्व आदिवासी दिवस को लेकर कहा- यह ईसाइयों और वामपंथियों का षड्यंत्र

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Harsh Verma
Chhattisgarh News

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में भाजपा युवा मोर्चा (BJP Yuva Morcha) के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) को लेकर बयान देकर सियासी बहस छेड़ दी है। उन्होंने 9 अगस्त को मनाए जाने वाले इस दिन को ईसाइयों (Christians) और वामपंथियों (Leftists) का षड्यंत्र बताया।

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रवि भगत ने मांग की है कि इस दिन को विश्व मूल निवासी दिवस (World Indigenous Day) के रूप में ही मनाया जाना चाहिए, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने घोषित किया है।

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विदेशी साजिश है विश्व आदिवासी दिवस - रवि भगत

रवि भगत ने एक वीडियो जारी कर कहा कि भारत में “विश्व आदिवासी दिवस” (Vishwa Adivasi Diwas) मनाने की परंपरा विदेशी प्रभाव से शुरू हुई है। उन्होंने इसे भारतीय समाज में विभाजन पैदा करने वाला षड्यंत्र बताया। उनका कहना है कि “भारत में अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes - ST) को संविधानिक दर्जा मिला है और उन्हें आरक्षण का भी लाभ मिलता है। इन्हें सामान्य भाषा में आदिवासी कहा जाता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित दिवस 'विश्व मूल निवासी दिवस' (World Indigenous Peoples Day) है, जिसे भारत में भी उसी नाम से मनाना चाहिए।”

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आदिवासी बनाम मूल निवासी की बहस

रवि भगत ने तर्क दिया कि “अगर सिर्फ ‘आदिवासी’ शब्द का इस्तेमाल होगा, तो देश की अन्य जातियां जैसे अनुसूचित जाति (Scheduled Castes - SC) व अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे, जबकि वे भी खुद को भारत का मूल निवासी मानते हैं।” उन्होंने कहा कि यह “एक वर्ग विशेष को अलग दिखाने की रणनीति है, जिससे सामाजिक असमानता और तनाव बढ़ सकता है।”

 क्यों 9 अगस्त?

संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त को World Indigenous Peoples Day घोषित किया है। इसका उद्देश्य दुनियाभर के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। रवि भगत का कहना है कि यदि भारत में भी इसी नाम से यह दिवस मनाया जाए, तो हर वर्ग, हर समुदाय इसमें भागीदार बन सकता है।

रवि भगत ने दिया आग्रह

रवि भगत ने लोगों से अपील की कि वे “ईसाई संगठनों के प्रभाव” में आकर “विश्व आदिवासी दिवस” न मनाएं। उन्होंने कहा कि भारत में सभी मूल निवासी इस दिन को मिलकर मनाएं और इसे “विभाजन का नहीं, एकता का पर्व” बनाएं।

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