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CG में करंट से 2 मासूमों की मौत: बिलासपुर हाईकोर्ट ने छुट्टी के दिन की विशेष सुनवाई, मुख्य सचिव को नोटिस, दिए ये निर्देश

Bilaspur High Court: CG में करंट से 2 मासूमों की मौत, बिलासपुर हाईकोर्ट ने छुट्टी के दिन की विशेष सुनवाई, मुख्य सचिव को नोटिस, दिए ये निर्देश

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Harsh Verma
Chhattisgarh Sharab Ghotala 2025 Vijay Bhatia, Bilaspur High Court

Chhattisgarh Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने बच्चों की जान लेने वाली दो अलग-अलग घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए शनिवार को जनहित याचिका (Public Interest Litigation) के रूप में स्वतः संज्ञान लिया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा (Chief Justice Ramesh Sinha) और जस्टिस बीडी गुरु (Justice BD Guru) की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव (Chief Secretary) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस सुरक्षा रोडमैप (Roadmap) बनाना होगा। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को तय की गई है।

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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और कोंडागांव की घटनाएं

पहली घटना गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (Gaurela-Pendra-Marwahi) जिले के करगीकला गांव की है। यहां खेत के पास खेलते समय 6 साल के बच्चे की करंट लगने से मौत हो गई। दूसरी घटना कोंडागांव (Kondagaon) जिले की है, जहां ढाई साल की मासूम महेश्वरी यादव करंट की चपेट में आ गई और उसकी भी जान चली गई। दोनों ही मामलों को हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए तत्काल सुनवाई की।

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खेतों की बाड़ और करंट का खतरा

डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य में खेतों की सुरक्षा के लिए लगाए गए बाड़ पर बिजली का करंट छोड़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इससे न सिर्फ इंसानों बल्कि मवेशियों और वन्यजीवों की भी मौत हो रही है। बरसात के मौसम में यह खतरा और बढ़ जाता है, क्योंकि पानी भरने से पूरा इलाका करंट की चपेट में आ सकता है।

सरकार और विभागों की जिम्मेदारी

हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत (Advocate General Prafull N Bharat) ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर तत्काल कदम उठाने की जानकारी दी। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के संचालक पीएस एल्मा (PS Elma) ने सभी जिलों के कलेक्टरों और अधिकारियों को पत्र जारी किया।

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों (Anganwadi Centres) में 3 से 6 वर्ष तक के छोटे बच्चे रोजाना आते हैं। माता-पिता उन्हें सुरक्षित मानकर भेजते हैं, लेकिन लापरवाही से बच्चों की जान पर खतरा मंडरा सकता है। इसलिए विभागीय अधिकारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक और परियोजना अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में गहन निरीक्षण कर सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

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