Sai Cabinet 14 Ministers Case: बिलासपुर (Bilaspur) हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कैबिनेट में शामिल 14 मंत्रियों की संख्या को लेकर कांग्रेस ने याचिका दायर की थी। कांग्रेस का कहना है कि मंत्रियों की संख्या संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसे कम किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस (Chief Justice) की डिवीजन बेंच (Division Bench) में इस मामले पर सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहले से लंबित है। इसलिए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की स्टेटस रिपोर्ट (Status Report) पेश करने के निर्देश दिए।
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याचिकाकर्ता का शपथपत्र
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत में शपथपत्र (Affidavit) पेश किया और अपने सामाजिक कार्यों का ब्यौरा दिया। अदालत ने सभी दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिया और मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की।
कांग्रेस का क्या है तर्क?
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि संविधान में मंत्रियों की संख्या पर स्पष्ट प्रावधान है। जनप्रतिनिधित्व कानून और 91वें संशोधन के अनुसार, किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
कांग्रेस का आरोप है कि साय सरकार ने राजनीतिक संतुलन साधने के लिए इस सीमा से आगे जाकर तीन नए मंत्रियों को शामिल कर लिया।
तीन नए मंत्रियों ने ली शपथ
भाजपा की साय सरकार ने हाल ही में तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिससे राज्य मंत्रिपरिषद की संख्या 11 से बढ़कर 14 हो गई। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
विपक्ष का कहना है कि कैबिनेट का यह विस्तार असंवैधानिक है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
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FAQ –
Q1. मामला किस बारे में है?
यह मामला छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कैबिनेट (Cabinet) में 14 मंत्रियों की नियुक्ति से जुड़ा है। कांग्रेस (Congress) का कहना है कि इतनी संख्या असंवैधानिक है।
Q2. याचिका किसने दायर की?
कांग्रेस पार्टी ने बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में याचिका दायर की है।
Q3. हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी लंबित है, इसलिए वहां की स्थिति रिपोर्ट (Status Report) मंगाई गई है।
Q4. अगली सुनवाई कब होगी?
मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की गई है।
Q5. याचिकाकर्ता ने क्या किया?
याचिकाकर्ता ने अदालत में शपथपत्र (Affidavit) पेश किया और अपने सामाजिक कार्यों का ब्यौरा दिया।
Q6. अंतिम फैसला कब तक आ सकता है?
यह सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले की प्रगति और बिलासपुर हाईकोर्ट की आगे की कार्यवाही पर निर्भर करेगा।