Bastar Independence Day 2025: छत्तीसगढ़ में बस्तर के 29 गांवों के लिए पहली बार लगा कि यहां के लोग भी आजाद हैं। यहां के लोगों को नक्सलियों से आजादी मिली है। इन गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया। इससे पहले तक इन गांवों में नक्सली काला झंडा फहराते थे। 15 अगस्त का आजादी का जश्न कुछ अलग दिखाई दिया। इन गांवों बीजेपी सरकार के मंत्री और पार्टी के मुख्य पदाधिकारियों ने झंडावंदन किया।
छत्तीसगढ़ के धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले के 29 गांव थे, जहां नक्सलियों की दंबगई चलती थी। यहां लोकतंत्र नहीं बल्कि नक्सलियों का गनतंत्र हावी था। आजादी के 78 साल में इन गांवों में कभी तिरंगा नहीं फहराया जा सका। बीते एक साल में इन गांवों में सुरक्षा बलों का कैंप खोला गया। फोर्स इन गांवों के दूरस्थ इलाके में घुसी। नक्सलियों का एनकाउंटर कर उन्हें खदेड़ा गया, अभियान अभी भी जारी है। कैंप स्थापित होने के बाद आज पहली बार आजादी का जश्न मनाया जा रहा है।
फोर्स की मौजूदगी के बीच पहली बार इन इलाकों के ग्रामीणों ने हाथों में तिरंगा पकड़ा। मिठाइयां बांटी जा रही हैं। भारत माता की जय का आघोष हो रहा है।
नक्सली गांवों में भी दहशत कम हुई
बीजापुर जिले के 11, नारायणपुर के 11 और सुकमा के 7 गांव में आजादी का पर्व पहली बार मनाया जाएगा। बीजापुर जिले का पुजारी कांकेर गांव, जो नक्सलियों का सबसे सुरक्षित जोन माना जाता था, फोर्स अब यहां तक भी पहुंच चुकी है। वहीं कोंडापल्ली और जिडपल्ली जैसे गांव में भी नक्सलियों की दहशत कम हुई है।
कुछ दिन पहले ही नारायणपुर के अबूझमाड़ में DRG के जवानों ने नक्सली लीडर बसवा राजू को मार गिराया है। जिसके बाद से माओवाद संगठन बैकफुट पर है।
IG की अपील- हिंसा छोड़ दें नक्सली
स्वतंत्रता दिवस के पहले बस्तर के IG सुंदरराज पी ने बताया कि एक साल में दक्षिण बस्तर से लेकर अबूझमाड़ इलाके में कुल 29 कैंप स्थापित किए गए हैं। अब यहां के ग्रामीण राष्ट्रीय पर्व मनाएंगे। IG ने नक्सल संगठन में सक्रिय नक्सलियों से अपील की है कि वे नक्सल हिंसा और दबंगई का रास्ता छोड़ दें। मुख्य धारा में लौटें।
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