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रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में अव्यवस्था: हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं आया सरकार का जवाब, कोर्ट से मांगा और समय

Bilaspur High Court: रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में अव्यवस्था, हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं आया सरकार का जवाब, कोर्ट से मांगा और समय

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Harsh Verma
CG Teachers Rationalisation

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (Dr. Bhimrao Ambedkar Hospital) में इलाज को लेकर गंभीर अव्यवस्थाएं सामने आई हैं।

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एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मरीजों को सर्जरी के लिए एक-दो दिन नहीं बल्कि 15 से 20 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

ऑपरेशन के लिए बार-बार लौटाए जा रहे मरीज

मुख्य | उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ,बिलासपुर

अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों का आरोप है कि उन्हें बिना सूचना के ऑपरेशन थिएटर (Operation Theatre) से लौटा दिया जाता है। कई बार ऐसा हो चुका है कि मरीजों को ऑपरेशन के लिए तैयार कर लिया गया, लेकिन बाद में डॉक्टरों की अनुपलब्धता या तकनीकी कारणों से वापस भेज दिया गया।

अंबेडकर अस्पताल में कुल 29 ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन इन सभी में केवल 1 से 2 डॉक्टर ही सर्जरी के लिए उपलब्ध रहते हैं। अस्पताल में हर दिन सड़क हादसों, हड्डी टूटने, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित दर्जनों मरीज भर्ती होते हैं। इनमें से कई मरीजों को हफ्तों तक ऑपरेशन की तारीख नहीं मिलती।

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हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी नहीं आया सरकार का जवाब

इस मामले की सुनवाई 27 मई को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा (Chief Justice Ramesh Kumar Sinha) की बेंच में हुई थी। कोर्ट ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था, लेकिन राज्य सरकार जवाब देने में विफल रही।

महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत (Advocate General Prafull N. Bharat) ने हलफनामा तैयार होने की बात कहते हुए कोर्ट से और समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 10 जून तय की है।

गरीब मरीजों के पास नहीं कोई और विकल्प

अस्पताल में भर्ती आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के पास निजी अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा नहीं होती। वे मजबूरी में सरकारी अस्पताल में इलाज के इंतजार में दिन-रात गुजारते हैं। कभी-कभी हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि तीमारदार और अस्पताल स्टाफ के बीच झड़प और मारपीट तक हो जाती है।

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