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नई दिल्ली। भारत के इतिहास में कई वीर सपूतों ने जन्म लिए इन्हीं में से एक हैं छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) । उनका जन्म आज ही के दिन 19 फरवरी 1627 को शिवनेरी (महराष्ट्र) में एक मराठा परिवार में हुआ था। शिवाजी एक महान देशभक्त होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक भी थे। 1670 में उन्होंने मुगलों की सेना के साथ जमकर लोहा लिया था और उन्हें घुटनों पर लाकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था। इसके बाद उन्होंने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) की नींव रखी थी। लोग आज भी उनके बहादुरी के किस्से बड़े चाव से सुनाते हैं।
बचपन से ही योद्धा थे
शिवाजी बचपन से ही एक योद्धा थे। वो अपनी आयु के बच्चों को इक्कठा करते और फिर उनके नेता बनकर युद्द और किले जीतने का खेल खेला करते थे। युवावस्था में उनका यही खेल वास्तविक हो गया और वो शत्रुओं पर आक्रमण करके उनके किले आदी को जीतने लगे। उनकी मां जीजाबाई बचपने से ही शिवाजी को रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाया करती थीं। किशोरावस्था में ही शिवाजी उस युग के परम संत रामदेव के संपर्क में आए। जिसके बाद वे एक राष्ट्रप्रेमी और कर्मठ योद्धा बनें।
शिवाजी के नाम से डरते थे अत्याचारी प्रशासक
शिवाजी ने अपने कौशल क्षमता से जैसे ही परंदर और तौरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया, वैसे ही उनका नाम सारे दक्षिण के लोग जानने लगे। इन दोनों किलों के जीत की खबर आगरा और दिल्ली तक आग की तरह फैल गई। अत्याचारी प्रशासक उस समय शिवाजी के नाम से डरने लगे। उन्होंने शिवाजी को कैद करना चाहा। लेकिन शिवाजी कहां उनलोगों के हाथ आते। ऐसे में बीजापुर के शासक आदिल शाह ने उनके पिता शाहजी (Shahaji) को गिरफ्तार कर लिया। इस बात का पता जैसे ही शिवाजी को चला वो आग बबूला हो गए। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध करके जल्दी ही अपने पिता को इस कैद से आजाद करा लिया।
खुद ही शिकार हो गया अफजल खां
इस बात से आदिल शाह (Adil Shah) इतना गुस्सा हो गया कि उसने शिवाजी को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दे दिया। इस काम के लिए उसने अपने सबसे मक्कार सेनापति अफजल खां को भेजा। अफजल ने शिवाजी से भाईचारे और सुलह का झूठा नाटक रचा। वो शिवाजी को गले लगाकर मारना चाहता था। लेकिन शिवाजी इतने चालाक थे उन्होंने अफज का ही शिकार कर लिया। इस घटना के बाद अफजल की सेनाएं दुम दबाकर भाग गईं।