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छठ पूजा बिहार की सांस्कृतिक धरोहर: बिहार के कण-कण में बसा आस्था का पर्व छठ, जानिए क्या है इसका महत्व

Chhath Pooja 2024: छठ पूजा बिहार की सांस्कृतिक धरोहर: बिहार के कण-कण में बसा आस्था का पर्व छठ, जानिए क्या है इसका महत्व

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Manya Jain
Chhath Pooja 2024

Chhath Pooja 2024

Chhath Pooja 2024: छठ पूजा बिहार का एक प्रमुख और पारंपरिक त्योहार है, जिसे भक्ति, श्रद्धा, और समर्पण के साथ मनाया जाता है। यह पूजा सूर्य देव और छठी मइया को समर्पित होती है।

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इसका महत्व पूरे भारत में, विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के क्षेत्रों में अधिक है। आइए इस पर्व के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है। यह पर्व मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना के लिए समर्पित है, जिन्हें शक्ति, ऊर्जा, और स्वास्थ्य का स्रोत माना जाता है।

सूर्य देवता को समर्पित इस पूजा में छठी मइया की आराधना भी की जाती है, जो संतान और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना के लिए की जाती है।

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ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

छठ पूजा का समय और तारीखें

छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जो अक्टूबर-नवंबर के महीने में आती है। यह चार दिनों तक चलता है और नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातःकालीन अर्घ्य इन चार मुख्य चरणों में होता है।

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छठ पूजा के चरण

नहाय-खाय: पहले दिन व्रती (छठ पूजा करने वाले) पवित्र स्नान करते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। इसके साथ ही, व्रत का आरंभ होता है।

खरना: दूसरे दिन खरना का आयोजन होता है, जिसमें व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को विशेष प्रसाद के साथ व्रत तोड़ते हैं। प्रसाद में खासतौर पर गुड़ की खीर, रोटी और केला शामिल होता है।

संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन व्रती गंगा, तालाब, या किसी नदी किनारे जाकर संध्या के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है जब भक्तजन सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पण कर उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

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प्रातःकालीन अर्घ्य: चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन होता है। यह भोर का समय भी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक होता है, जिसमें परिवार और समाज के लोग एकत्र होते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

छठ पूजा की विशेषता

छठ पूजा की एक विशेषता है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक पूजा है, जिसमें न तो किसी मूर्ति की आवश्यकता होती है और न ही किसी पुजारी की। इसमें उपयोग होने वाले सभी प्रसाद और सामग्री जैसे गन्ना, ठेकुआ, केला, नारियल आदि भी प्राकृतिक होते हैं।

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और धरोहर का प्रतीक है। इस पर्व में लोग अपनी आस्था और श्रद्धा से सूर्य देवता और छठी मइया की उपासना करते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे का संदेश मिलता है।

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