नई दिल्ली। उंचे-उंचे पुल बनाने के मामले में चीन का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन अब इस मामले में भी भारत चीन को पीछे छोड़ने जा रहा है। इस वक्त भारत दुनिया का सबसे उंचा रेलवे पुल बना रहा है। जो मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कौरी इलाके में चिनाब नदी पर बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा पुल भारत के लिए एक और मील का पत्थर साबित होगा। आइए जानते हैं इस पुल की खासियत क्या है
पुल के तैयार होती ही घाटी रेलवे से जुड़ जाएगी
बतादें कि कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी KRCL, उधमपुर- श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत 111 किलोमीटर लंबे चुनौतीपूर्ण मार्ग पर चिनाब पुल का निर्माण किया जा रहा है। जब यह पुल पूरी तरीके से बनकर तैयार हो जाएगा तो यह घाटी को देश के बाकी हिस्सों से रेलवे के माध्यम से जोड़ेगा।
17 केबल्स पर टिका होगा पूरा ब्रिज
पुल का निर्माण चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊपर किया जा रहा है। यानी एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ज्यादा इसकी उंचाई है। इसे रियासी जिले बक्कल और कौड़ी के बीच में बनाया जा रहा है। पुल की कुल लंबाई 1.3 किमी है। ब्रिज की सबसे खास बात यह है कि पुरा पुल 17 केबल्स पर टिका होगा। ब्रिज में दो ट्रैक होंगे। एक की चौड़ाई 14 मीटर होगी। साथ ही इससे लगा एक 1.2 मीटर चौड़ा रास्ता भी होगा। जिसके सहारे लोग एक छोर से दूसरी छोर तक आ-जा सकेंगे।
ब्रिज पर विस्फोट का भी नहीं होगा असर
वहीं इस पुल को बनाने में करीब 1200 करोड़ रूपये का खर्च आया है। जिसे बनाने में डीआरडीओ समेत देश के 15 बड़े संस्थान कोंकण रेलवे को मदद कर रहे हैं। घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए इस ब्रिज को ब्लास्ट लोड टेक्नोलॉजी से बनाया गया है। इससे ब्रिज पर किसी विस्फोट और प्रेशर का कोई असर नहीं होगा।
ब्रिज की खासियत
इस प्रोजेक्ट की नींव 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेय ने रखी थी। तब से ही यहां सालना 5 हजार वर्कर काम कर रहे हैं। पुल को 2019 में ही बनकर तैयार हो जाना था। लेकिन किसी ना किसी वजह से इसमे देरी होते गई और अब बस कुछ ही दिनों में यह पूरी तरीके से बनकर तैयार हो जाएगा। इस ब्रिज की कई खासियते हैं। जैसे ब्रिज 266 किमी प्रति घंटे रफ्तार की हवा का भी सामना कर सकता है। साथ ही यह पुल ऑनलाइन मॉनीटरिंग एंड वार्निंग सिस्टम से लैस होगा। गौरतलब है कि ब्रिज को बनाने में 29 हजार मीट्रिक टन इस्पात का इस्तेमाल किया गया है।
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