श्योपुर। नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से दो भाई फ्रेडी और एल्टन को सोमवार को मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अपने पृथकवास वाले विशेष बाड़े में उछल-कूद एवं मस्ती करते हुए देखा गया। इन सभी चीतों को भारत में पहली बार भोजन रविवार शाम को परोसा गया था, जिसे उन्होंने बड़े चाव से खाया। कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों ने बताया कि दो चीता बहनें सावन्नाह और साशा भी मस्ती करती नजर आईं। चार अन्य नामों वाले चीते- ओबान, आशा, सिबिली एवं सैसा भी नये वातावरण का आनंद लेते हुए दिखाई दिए। एक अधिकारी ने बताया कि अफ्रीकी देश से शनिवार को भारत पहुंचने के बाद पहली बार रविवार शाम पांच मादा और तीन नर चीतों को भोजन परोसा गया। इन चीतों की उम्र 30 से 66 महीने के बीच है।
नामीबिया से विशेष विमान से करीब 8,000 किलोमीटर दूर लाए गए इन आठ चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितंबर की सुबह छोड़ा गया, जिससे यह उद्यान पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने वर्ष 1952 में भारत में विलुप्त हुए चीतों की आबादी को फिर से बसाने की परियोजना के तहत इस उद्यान के विशेष बाड़ों में छोड़ा था और उस समय ये सहमे हुए नजर आ रहे थे। हालांकि, बाद में विचरण करने लगे थे। उन्होंने कहा कि रविवार शाम को आठ चीतों में से प्रत्येक को दो किलोग्राम भैंस का मांस परोसा गया। उनमें से केवल एक चीते ने कम खाया, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। माना जाता है कि चीते रोजाना भोजन नहीं करते। वे तीन दिन में एक बार भोजन करते हैं।
चीतों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने वाली टीम में शामिल अधिकारी ने कहा कि चीते सोमवार को मस्त, प्रसन्नचित और सक्रिय दिखे। उन्होंने कहा कि सोमवार सुबह फ्रेडी और एल्टन चंचल मूड में दौड़ते और अक्सर अपने बाड़े में पानी पीते नजर आए। इनकी निगरानी एवं अध्ययन कर रहे विशेषज्ञों ने बताया कि तीसरे दिन भी ये सभी चीते अपने नये बसेरे को बड़ी उत्सुकता से निहारते रहे और स्वस्थ एवं तंदुरुस्त दिखे। उन्होंने कहा कि अब वे धीरे-धीरे अपने नये परिवेश में ढल रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि इन सभी को विशेष बाड़ों में एक महीने के लिए पृथकवास में रखा गया है। उन्हांने बताया कि इन चीतों को नामीबिया से ही नाम दिये गये हैं और उनका नाम नहीं बदला गया है।