Last Chandra Grahan 2023: एक महीने बाद साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार 5 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था। इसके बाद 29 अक्टूबर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा।
इस साल कुल 4 ग्रहण (Chandra Grahan 2023)
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार साल 2023 में कुल 4 ग्रहण लगेंगे। जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण शामिल है। साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग चुका है। जो भारत (India) में नहीं दिखाई दिया था। 5 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा।
चंद्र ग्रहण का धार्मिक पक्ष (Chandra Grahan 2023)
आपको बता दें वैसे तो चंद्र ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, लेकिन पौराणिक मान्यता की बात करें तो पूर्णिमा की रात जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तो उस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। वहीं दूसरी ओर चंद्र ग्रहण के सूतक काल की बात करें तो ग्रहण के कुछ घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। हालांकि ज्योतिष के नजरिए से इसे शुभ नहीं माना जाता है।
कब लगेगा दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण
आपको बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण अगले 5 मई 2023 दिन शुक्रवार को लगा था। तो वहीं दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 29 अक्टूबर 2023 को रविवार के दिन लगेगा। यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण रात 01:06 पर शुरू होगा और 02:22 पर समाप्त हो जाएगा। भारत में ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 16 मिनट की होगी।
क्या भारत में दिखेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2023 Time) बहुत खास रहने वाला है क्योंकि यह पूरे साल में लगने वाले सभी ग्रहणों में एक मात्र ऐसा ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा। हालांकि ये रात को शुरू होगा।
कहां-कहां दिखेगा साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण
साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में तो दिखेगा ही है। इसके अलावा यह चंद्र ग्रहण नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, मंगोलिया, चीन, ईरान, रूस, कजाकिस्तान, सऊदी अरब, सूडान, इराक, तुर्की, अल्जीरिया, जर्मनी, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, इटली, यूक्रेन, फ्रांस, नॉर्वे, ब्रिटेन, स्पेन, स्वीडन, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान और इंडोनेशिया में भी देखा जा सकेगा।
इस स्थिति को कहते हैं चंद्र ग्रहण
वैज्ञानिक दृष्टि की बात करें तो पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस पूरी प्रक्रिया में एक समय ऐसा आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध यानि एक लाइन में आ जाते हैं। इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा तक ये नहीं पहुंच पाता है। इसी खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार
उपच्छाया चंद्रग्रहण (Penumbral lunar Eclipse)
ज्योतिष के अनुसार उपच्छाया चंद्रग्रहण (Penumbral lunar Eclipse) वह ग्रहण होता है जो पृथ्वी की छाया वाला माना जाता है। यानि जब ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है। बस फर्क इतना होता है कि इसमें चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है, जिसमें ग्रहण को पहचानना भी आसान नहीं होता है।
आंशिक चंद्रग्रहण (Partial lunar Eclipse)
ज्योतिष के अनुसार आंशिक चंद्र ग्रहण वह स्थिति होती है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है। आपको बता दें इस ग्रहण की खास बात ये होती है कि ये भी ज्यादा समय के लिए नहीं पड़ता है। इस ग्रहण काल में सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है।
पूर्ण चंद्रग्रहण (Total lunar Eclipse)
पूर्ण चंद्र ग्रहण में सूतक काल माना जाता है। इस ग्रहण काल की खास बात ये होती है कि इसमें ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। इस ग्रहण में पूरी तरह से चांद और सूरज के बीच पृथ्वी आती है। जिसमें पृथ्वी चांद को पूरी तरह से ढक लेती है। इस ग्रहण में चांद का रंग भी बदलकर लाल हो जाता है और इस पर धब्बे भी दिखाई देते हैं। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है। इतना ही नहीं ये विभिन्न राशि के जातकों पर भी सीधा प्रभाव डालते हैं।
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