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हाइलाइट्स
कांग्रेस-AAP गठबंधन को लगा झटका
भाजपा में शामिल हुए AAP के 3 पार्षद
3 पार्षदों ने बदला पाला
Chandigarh Mayor Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव दोबारा कराए जाने की जगह नई व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा बैलट पेपर्स की गिनती कर चंडीगढ़ मेयर का चुनाव किया जाए।
इसमें उन बैलट पेपर्स को शामिल ना किया जाए, जिन पर रिटर्निंग अफसर ने निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर्स कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि मंगलवार को कोर्ट में बैलट पेपर्स और वीडियो लाने के लिए एक ज्यूडिशियल अफसर की नियुक्ति कीजिए।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिए कि ज्यूडिशियल अफसर और रिकॉर्ड्स की सुरक्षा के लिए व्यवस्था कीजिए। अदालत मंगलवार को 2 बजे चुनाव का पूरा वीडियो और बैलट पेपर्स की जांच करेगी।
अदालत ने रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह से पूछा- आपने बैलट पेपर्स पर X का निशान क्यों लगाया। इस पर मसीह ने कहा कि उन्होंने 8 खराब बैलट पर निशान लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनिल मसीह पर अलग केस चलना चाहिए।
चंडीगढ़ मेयर के लिए 30 जनवरी को वोटिंग हुई थी। यहां पहली पर I.N.D.I. गठबंधन के तहत AAP-कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। जिसमें एक सांसद और 35 पार्षदों ने वोटिंग की। वोटिंग के बाद चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने रिजल्ट की घोषणा की।
चंडीगढ़ के मेयर (Chandigarh Mayor) मनोज सोनकर ने अपने पद से 'नैतिक आधार' पर इस्तीफा दे दिया है। ये इस्तीफा उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 19 फरवरी को होने वाली सुनवाई के एक दिन पहले दिया है।
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चंडीगढ़ BJP प्रमुख जितेंद्र मल्होत्रा ने इसकी पुष्टि की है। मेयर का ये इस्तीफा उसी दिन आया, जिस दिन आप के तीन पार्षद पूनम देवी, नेहा मुसावट और गुरचरण काला BJP में शामिल हुए थे। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने BJP पर धोखाधड़ी से मेयर बनाने का आरोप लगाया है।
क्या है मामला?
30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर का चुनाव हुआ था। इसमें 20 वोट होने के बावजूद भी AAP-कांग्रेस का गठबंधन हार गया था, वहीं 16 वोट होने पर भी भाजपा जीत गई थी।
ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने AAP-कांग्रेस गठबंधन के 8 वोट अमान्य करार दे दिए थे। इस निर्णय को लेकर AAP ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए पीठासीन अधिकारी को जमकर फटकार लगाई।
इस बार किसका पलड़ा भारी
चंडीगड़ मेयर का चुनाव अगर दोबारा होता है तो इस बार बीजेपी का पलड़ा भारी होगा। क्योंकि आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी के पास वोटों आंकड़ा 18 हो गया है। वहीं एक पार्षद अकाली दल का है।
ऐसे में अगर वो भी बीजेपी के पक्ष में वोट करता है तो ये संख्या 19 हो जाएगी। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से मेयर चुनाव दोबारा करवाने को लेकर फैसला आता है तो भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ अपना मेयर बना लेगी।
तीन पार्षदों के बीजेपी में आने से बदले समीकरण
आप के तीन पार्षदों के टूटने के बाद बीजेपी के पास कुल 17 पार्षद हो गए हैं। इनके अलावा एक सांसद का वोट भी है और बीजेपी को शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद का भी समर्थन है। ऐसे में अब बीजेपी के पास कुल वोटों की संख्या 19 हो गई है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पास अब घटकर सिर्फ 17 वोट रह गए हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी के 10 और कांग्रेस के 7 वोट शामिल हैं। चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं, जबकि एक सांसद का वोट मिलकर 36 वोट डाले जाते हैं। ये ही फिर मेयर को चुनते हैं।
नए पार्षदों में से चुना जा सकता है मेयर
चंडीगढ़ मेयर की कुर्सी अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है। इसलिए, BJP की तैयारी है कि सोनकर के इस्तीफे के बाद इस कुर्सी का दावेदार उन 3 नामों में से एक को बनाया जाए, जो AAP से छूटकर पार्टी में शामिल हुए हैं। इनमें 2 महिला पार्षदों में से एक को मेयर की कुर्सी मिल सकती है।
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