Chanakya Niti: सभी लोग खुशहाल जिदंगी चाहते हैं। कोई भी इंसान कभी नहीं चाहता कि उस पर दुःख के बादल मड़राएं। लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ये हम पर निर्भर करता है कि हम सुख में कैसा बर्ताव करते हैं और दुख के समय परिस्थिति का किस तरह सामना करते हैं।
चाणक्य ने बतया है कि संकट के समय कैसा व्यवहार करना चाहिए इस विषय पर अपनी नीतिशास्त्र में कुछ टिप्स बताएं हैं। तो आइए चाणक्य की इन 3 टिप्स की मदद से जानते हैं कि जानते हैं मुश्किल समय में कैसा बर्ताव करना चाहिए –
मुसीबत के समय सावधान रहें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संकट जब आता है तो व्यक्ति के पास सीमित अवसर होते हैं और चुनौतियां बड़ी होती हैं। इसलिए मुसीबत के समय व्यक्ति को सावधानी बरतना बहुत जरूरी होता है।
ऐसे में जरा सी चूक बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए पहले से सावधान रहना बहुत ही जरूरी है।
समझदारी से करें काम
चाणक्य के अनुसार संकट की घड़ी में उचित सलाह आपकी ताकत बनते हैं। संकट के समय व्यक्ति की जज्ञान और सहानुभूति की जरुरत नहीं होती है बल्कि उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। क्योंकि संकट आने पर मनुष्य का दिमाग विचलित होता है। विचलित दिमाग कभी सही निर्णय नहीं ले सकता है।
किसी भी छोटी या बड़ी लड़ाई में बल के साथ बुद्धि का प्रयोग किया जाए तो जीतने की पूरी गुंजाईश होती है। इसलिए सकारत्मकता विचरों के लोगों के साथ रहीं। नकरात्मक सोच को खुद पर हावी न होने दें। नाकारात्मक लोगों से दुरी बनाएं रखें इसी में आपकी भलाई है। मुसीबत के समय सकरत्मक सोच और समझदारी से काम करें।
हिम्मत और एकता है जरुरी
चाणक्य कहते हैं कि याद रखें किसी भी संकट से उबरने के लिए हिम्मत और एकता बहुत जरुरी है। अगर आप संकट काल में अहम का भाव रखेंगे तो हारना निश्चित है। एक अकेला व्यक्ति अपनी लड़ाई खुद लड़ता है
लेकिन जब बात परिवार या समाज की हो तो इसमें एक-दूसरे का पक्ष जानना और दूसरों को साथ लेकर चलने की भावना होना जरुरी है तभी सफलता मिलती है।
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