Chanakya Niti: चाणक्य नीति में सुखी जीवन के कई रहस्य बताए गए हैं. चाणक्य कहते हैं सुख का रहस्य ये नहीं होता है कि जीवन में कोई समस्याएं ही न हों बल्कि सुखी होने का राज यह होता है कि समस्याओं को हल करने की कला सीखना चाहिए.
किसी भी समस्या से आप कैसे लड़ रहे हैं इसकी कला बखुबी आने चाहिए. तो जीवन में दुःख के लिए जगह ही नहीं बचेगा. चाणक्य ने बताया है व्यक्ति को सुखी रहना है तो उसे कभी भी इन 5 लोगों के काम में दखल नहीं देना चाहिए.
तो आइये जानते हैं किन लोगों के बिच में दखल नहीं देना चाहिए –
ज्ञानियों के बीच न आएं
आचार्य चाणक्य ने कहते हैं जब कभी भी दो ज्ञानी आपस में बातचीत कर रहे हों तो किसी भी व्यक्ति को उनके बीच से होकर नहीं निकलना चाहिए. या उनकी बातों को बिना सुने अपना पक्ष नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने पर उनके काम में बाधा आती है.
ये मूर्खता कहलाती है. समझदार व्यक्ति कभी ये कार्य नहीं करता क्योंकि इससे उसकी छवि को नुकसान होता है.
हवन और पुजारी
चाणक्य कहते हैं जब कोई पुरोहित या पुजारी अग्नि कुंड के पास बैठा हो और पूजा करा रहा हो तो उसके बीच से किसी व्यक्ति को नहीं निकलना चाहिए. ऐसा करने से उनके पूजा-पाठ में विघ्न पड़ता है और हवन-यज्ञ में बाधा उत्पन्न होती है.
यहां तक की वह पूजा मान्य नहीं मणि जाती है. इससे व्यक्ति पाप का भागीदारी बनता है.
पति-पत्नी
चाणक्य नीति कहती है कि पति और पत्नी जीवन रूपी रथ के दो पहिए हैं. जब पति-पत्नी जब साथ मिलकर कोई कार्य कर रहे हों तो उनके काम में दखल नहीं देना चाहिए.
साथ ही उनकी बातचीत के बीच टोकना नहीं चाहिए. इससे उनका एकांत भंग होता है.
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