Chanakya Niti: चाणक्य की नीतियों इतनी कारगार है कि कई राजा माहाराजाओं ने इनकी नीतियों को अपनाकर अपना शासन काल चलाया। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में व्यक्ति को परखने का मूलमंत्र बताया है। चणक्या कहते हैं जिस प्रकार सोने को परखने के लिए उसे रगड़ना पड़ता है, काट कर देखा जाता है फिर आग में तपाया जाता है। ठीक उसी प्रकार कुछ बातों को ध्यान में रखकर व्यक्ति को परखा जा सकता है।
तो आइये जानते हैं चाणक्य ने व्यक्ति को परखने का क्या तरीका बताया है-
त्याग
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों में त्याग का गुण होता है, उस पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है।
ऐसे लोग खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते है और उनके लिए अपनी खुशियां त्याग करने के लिए तैयार रहते हैं। वहीं जिस व्यक्ति में त्याग की भावना ना हो यानी स्वार्थी प्रवृत्ति के लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
झूठे लोग
चाणक्य कहते हैं झूठे लोग से हमेशा दूरी बनाकर रखना चाहिए। ऐसे लोगों पर भरोसा ना करें जो झूठ बोलते हैं। झूठे व्यक्ति कभी अपना वादा नहीं निभाते हैं।
अगर आपको भरोसा ही करना है तो शांत स्वभाव और सच बोलने वाले लोगों पर करें। ये आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।
स्वार्थी
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में उल्लेख किया है कि स्वार्थी व्यक्ति से सदा दूरी बनाकर रखना चाहिए। क्योंकि आसे लोग किसी के सगे नहीं होते हैं।
इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखने में ही भलाई है।
ऐसे व्यक्ति नहीं होते सगे
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का स्वभाव उसके कर्मों पर निर्भर करता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को परखने के लिए उसके कर्मों को देखना चाहिए।
गलत तरीके से धन संचित करने वाला व्यक्ति और गलत कार्यों में संलग्न रहने वाले लोग कभी किसी के सगे नहीं होते। बल्कि अच्छे लोग भी इनकी संगती में आकर बुरे लत में फंस जाते हैं।
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