आचार्य चाणक्य के अनुसार परिवर्तन के प्रति कठोर और प्रतिरोधी होना आपकी प्रगति में बाधा बन सकता है। व्यक्ति को बदलती परिस्थितियों के लिए अनुकूल होना जरुरी है।
चाणक्य के अनुसार महत्वपूर्ण कार्यों और निर्णयों में देरी या टालमटोल नहीं करना चाहिए क्योंकि आपके लिए यह नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए परिस्थिति चाहे जैसी भी हो किसी भी तरह का निर्णय लेने में देर न करें।