Chanakya Neeti: भारतीय इतिहास में चाणक्य को एक महान शिक्षाविद् और दार्शनिक कहा गया है। उन्होंने जीवन के कई महत्वपूर्ण आदर्शों और विचारों को प्रकट किया है। मोक्ष प्राप्ति के लिए भी अपने विचार सांझा किए है।
इंद्रियों पर संयम जरूरी
आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर संयम रखना चाहिए, नहीं तो परोपकार की भावना होने के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता है।
उन्होने कहा कि बिना विवेक के सत्य का ज्ञान नहीं होता है और बिना संयम के मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
पाप करने वाले के मन में अशांति रहती है
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति अपने पापों का स्वयं बखान करता है। पाप करने वाले के मन में सदैव अंशाति का माहौल बना रहता है।
पाप मन में हमेशा बेचैनी बनाए रखते हैं, जिससे व्यक्ति अपने पापों को प्रकट करने के लिए विवश रहता है। आचार्य के अनुसार यह स्थिति उस समय बनती है, जब व्यक्ति मृत्यु के द्वार पर खड़ा होता है। इस लिए व्यक्ति को हमेशा पाप करने से बचना चाहिए
अनुभव के लिए पवित्रता जरूरी
चाणक्य ने अनुभव के लिए पवित्रता को सबसे मूल्यवान बताया है। उनका मनना है कि जो व्यक्ति अपनी वाणी और मन से पवित्र होगा साथ ही दूसरों के दुख को देखकर दुखी होता हो, वह विवेकवान हो सकता है।
नोट- यहां दी गई जानकारी ज्योतिषियों, धार्मिक मान्यताओं, धर्मग्रंथों और पंचांग से दी गई है। Bansal News इसकी प्रामाणिकता की गारंटी नहीं लेता है। जानकारी को अमल में लाने से पहले अपने आचार्य की सलाह अवश्य लें।
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