ग्वालियर। 8 जिले 34 विधानसभा चंबल की धार और बगावत का बिगुल। कभी डाकुओं के आतंक से भी थी पहचान। ये है मध्यप्रदेश की सत्ता की चाबी कहा जाने वाला ग्वालियर-चंबल इलाका। जो इस चुनाव में फिर बगावत और हॉट सीटों का गढ़ बना हुआ है।
इस बार 70% हुई वोटिंग
इस बार ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों पर करीब 70% वोटिंग हुई है। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से चुनावी मैदान में उतारा है। यह क्षेत्र केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी गृहनगर है।
ग्वालियर-चंबल से आते हैं दिग्गज नेता
बता दें कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ग्वालियर-चंबल से ही आते हैं। इस बार के चुनाव में इस इलाके से बीजेपी से कई मंत्री तो कांग्रेस से पूर्व मंत्री चुनावी मैदान में है।
इस क्षेत्र में इस बार 12 बागियों की चुनौती से कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही परेशान हैं। क्षेत्र की 34 सीटों में से 7 सीटें ST के लिए आरक्षित हैं।
2018 चुनाव में कांग्रेस मिली थी सफलता
2018 चुनाव में बीजेपी को ग्वालियर-चबंल से निराशा हाथ लगी थी। पिछले चुनाव में 26 सीटों पर कांग्रेस, तो वहीं 7 पर बीजेपी को जीत मिली थी।
2020 में हुआ था सियासी उलटफेर
लेकिन प्रदेश में 2020 में हुए सियासी उलटफेर के चलते यहां पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को 17, बीजेपी की 16 सीटें मिली थी। इस बार सिंधिया, तोमर और शिवराज ने पसीना ग्वालियर-चबंल में जमकर पसीना बहाया है।
इसी क्षेत्र में चुनाव से पहले बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई थी। मोदी-शाह ने भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पर स्पेशल फोकस किया है।
कांग्रेस से राहुल-प्रियंका ने किए दौरे
वहीं कांग्रेस के लिए राहुल-प्रियंका ने क्षेत्र दौरे हैं। साथ ही कमलनाथ-दिग्विजय की जोड़ी से भी मोर्चा संभाला है।
क्षेत्र के ये हैं बड़े मुद्दे
ग्वालियर चंबल में विकास, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य बड़े मुद्दे रहे हैं। इस बार कांग्रेस को जहां 2018 के नतीजों की उम्मीद है। वहीं बीजेपी दिग्गजों के दम के सहारे जीत के ट्रैक पर लौटने को बेकरार है।
बीजेपी-कांग्रेस के अपने-अपने दावे
विधायक के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी होती है। पिछली बार हमारे विधायक बहुत ज्यादा थे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। हो सकता है इस बार सीटों में कुछ कमी आए। लेकिन बहुत बड़ी कमी की कोई आंशका नहीं है। बीजेपी से कांग्रेस को काफी बढ़त मिलेगी। –राजेंद्र सिंह वरिष्ठ नेता कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी को अच्छे से अच्छा परिमाण ग्वालियर-चबंल इलाके में मिलेगा। वीडी शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी
चंबल की चुनौती
सूबे के दूसरे इलाकों से अलग ग्वालियर-चंबल में जाति सबसे बड़ा सच है। इसके साथ ही बगावत भी चंबल की सियासत का स्याह सच है। जिस भी सियासी दल ने जाति के जाल और बगावत से पार पाई होगी। वहीं चंबल की चुनौती पार कर पाएगा।
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