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CGPSC Ghotala: छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाले में बड़ा खुलासा, टामन सिंह ने रिश्तेदारों को बनाया अफसर, बिना इंटरव्यू हो गया चयन

CGPSC Ghotala: छत्तीसगढ़ पीएससी 2021 भर्ती घोटाले में सीबीआई की चार्जशीट ने खुलासा किया है कि टामन सिंह सोनवानी ने अपने भतीजे, बहू व अन्य रिश्तेदारों को बिना इंटरव्यू डिप्टी कलेक्टर बनवाया।

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Shashank Kumar
CGPSC Ghotala

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हाइलाइट्स 

  • बिना इंटरव्यू बने डिप्टी कलेक्टर

  • एक साल पहले लीक हुआ पेपर

  • टामन और ध्रुव के रिश्तेदारों को लाभ

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CGPSC Ghotala: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) से जुड़ा सबसे बड़ा भर्ती घोटाला अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। सीबीआई की चार्जशीट में जो खुलासे सामने आए हैं, वे न सिर्फ हैरान करने वाले हैं बल्कि प्रदेश की प्रतिष्ठित प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं। आरोप हैं कि पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी (Tamman Singh Sonwani) ने अपनों को ऊंचे पद दिलाने के लिए नियम-कायदों को ताक पर रख दिया।

अब यह सिर्फ परीक्षा में गड़बड़ी का मामला नहीं रहा, बल्कि सुनियोजित साजिश (Criminal Conspiracy) और सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण बन गया है, जिसमें पेपर लीक, फर्जी इंटरव्यू, दस्तावेज़ों की हेराफेरी और भाई-भतीजावाद की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं।

पूर्व चेयरमैन के बेटे-बहू का नाम चयन सूची में कैसे आया?

सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, टामन सिंह सोनवानी के भतीजे नीतेश सोनवानी और बहू निशा कोसले (Nitish Sonwani & Nisha Kosle) मुख्य इंटरव्यू में शामिल ही नहीं हुए थे। इसके बावजूद चयन सूची (Final Selection List) में उनके नाम आ गए और वे डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) जैसे महत्वपूर्ण पद पर चयनित हो गए।

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यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि इंटरव्यू बोर्ड में स्वयं टामन सिंह सोनवानी शामिल थे। रिश्तेदारी उजागर न हो, इसके लिए निशा ने आवेदन फॉर्म में अपने पति का नाम तक नहीं लिखा और जानकारी छिपाई। फिर भी उन्हें पास कर दिया गया।

एक साल पहले ही तैयार था प्रश्नपत्र

इस पूरे घोटाले की नींव उस समय रखी गई जब परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक (Exam Controller Arti Wasnik) ने 2020 में पीएससी मुख्य परीक्षा के दो पेपर सेट तैयार करवाए। एक सेट परीक्षा में उपयोग हुआ, दूसरा स्ट्रॉन्ग रूम (Strong Room) में रखने की जगह खुद के पास रखा गया। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

बाद में 2021 की परीक्षा में उसी दबाकर रखे गए पेपर का इस्तेमाल कर लिया गया, जिससे साफ है कि योजना पहले से तय थी। यह वही प्रश्नपत्र था जो टामन सिंह ने अपने रिश्तेदारों और करीबियों को उपलब्ध कराया था।

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टामन ने परीक्षा से पहले दी पेपर की कॉपी

सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव (Jeevan Kishore Dhruv) को 2020 में ही 2021 की परीक्षा का प्रश्नपत्र दे दिया गया था। उन्होंने अपने बेटे सुमित ध्रुव (Sumit Dhruv) को ये प्रश्न और मॉडल उत्तर पहले ही उपलब्ध करा दिए थे।

सुमित के घर से Paper-2 और Paper-7 के उत्तर और अभ्यास कॉपियां मिलीं। इनमें से Paper-2 में ‘क्रिप्टोकरेंसी’, ‘टोनही प्रथा’ और ‘दंतेवाड़ा’ जैसे विषयों पर निबंध शामिल था, जिसका वह लंबे समय से अभ्यास करता रहा। इस लीक का फायदा उसे मिला और वह भी डिप्टी कलेक्टर बन गया।

टामन के पूरे परिवार को मिला फायदा

चार्जशीट के अनुसार टामन सिंह ने अपने रिश्तेदारों – बहू निशा कोसले, भतीजे नीतेश, साहिल सोनवानी, भाभी दीपा आदिल, बेटे विनीत और उसके परिजनों को प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले ही दे दिए थे। एक चैट में विनीत और उसकी पत्नी श्वेता के बीच इस साजिश की बातचीत सामने आई, जिसे सीबीआई ने सबूत के रूप में पेश किया है।

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दीपा आदिल (दीमान सिंह की बहू) ने भी आवेदन पत्र में अपने पति का नाम नहीं लिखा ताकि पहचान छुपाई जा सके, लेकिन दस्तावेजों से सच बाहर आ गया। उन्हें आबकारी अधिकारी (Excise Officer) बनाया गया।

अब पढ़िए टामन सोनवानी के रिश्तेदारों ने चैट में क्या बात की-

[caption id="attachment_907072" align="alignnone" width="1240"]CGPSC Ghotala कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में इन बातों का उल्लेख है।[/caption]

[caption id="attachment_907071" align="alignnone" width="1121"]CGPSC Ghotala कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में इन बातों का उल्लेख है।[/caption]

पेपर छापने वाली प्रेस पर भी छापा

सीबीआई ने रायपुर की एक प्रिंटिंग प्रेस Akadee Printers पर भी छापा मारा, जहां पेपर छापा गया था। यहां के संचालक अरुण कुमार द्विवेदी की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। इसके अलावा आरोपितों के मोबाइल चैट, वॉट्सएप मैसेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और बैंक खाते भी जांच के दायरे में हैं।

सीबीआई ने आरोपितों के घरों से पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, नोट्स और प्रश्नपत्रों की कॉपी भी जब्त की है। इससे यह साफ होता जा रहा है कि यह सिर्फ एक साल की गड़बड़ी नहीं, बल्कि 2016 से 2021 तक लगातार हुई धांधलियों की कड़ी है।

भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल

2021 की CGPSC परीक्षा में कुल 171 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा 13 फरवरी 2022 को आयोजित की गई थी। मेन्स परीक्षा 26-29 मई 2022 के बीच हुई, और अंतिम चयन सूची 11 मई 2023 को आई। इसके बाद ही लगातार शिकायतें सामने आने लगीं कि असली टैलेंट को दरकिनार कर रिश्तेदारों को पदों पर बैठा दिया गया। प्रश्न पत्र लीक और इंटरव्यू में शामिल न होकर भी चयन जैसे मामलों ने छत्तीसगढ़ के लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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अब तक 12 गिरफ्तार, जांच में कई और नाम आएंगे सामने

सीबीआई ने अब तक टामन सिंह सोनवानी, जीवन किशोर ध्रुव, आरती वासनिक समेत 12 लोगों को गिरफ्तार कर रायपुर जेल भेज दिया है। कई अन्य अधिकारियों, पूर्व परीक्षा नियंत्रकों, और तत्कालीन राज्यपाल सचिव से जुड़े लोगों की भी जांच हो रही है। सूत्रों के अनुसार जल्द ही सीबीआई वन विभाग और असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर हुई भर्तियों में भी पेपर लीक से जुड़ी जानकारियां सामने ला सकती है।

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